मोहम्मद फैज़ान(छात्र जन संचार एवम् पत्रकारिता, मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी, हैदराबाद
देश के पाँच राज्यों मे विधान सभा चुनाव हो रहे हैं,इन राज्यों मे राजनीतिक सरगर्मी भी तेज हो गई है, लेकिन सब से ज़्यादा चर्चा बंगाल चुनाव का हैl जहाँ 2 बार से लगातार विधानसभा चुनाव जीत रही तृणमुल कांग्रेस की नेता और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी फिर से अपना किला बचाने का प्रयास कर रही हैं, वहीं उन को सबसे ज़्यादा चुनौती भाजपा से मिल रही है, पिछले लोकसभा चुनाव मे जिस प्रकार बंगाल में भाजपा को सफलता मिली थी इससे भाजपा के हौसले बुलंद हैं, वहीं बंगाल पर लगभग 3 दशक तक शासन करने वाले वाम दल इस बार कांग्रेंस से गठबंधन कर फिर से सत्ता मे भागेदारी के लिए संघर्ष कर रहे हैंl लेकिन मुख्य मुकाबला तृणमुल कांग्रेस और भाजपा के बीच ही दिख रहा हैंl अब तक बंगाल की रजनीति मे हाशिये पर रही भाजपा ने पिछले लोकसभा चुनाव मे अप्रत्याशित प्रदर्शन कर सब को चौंका दिया था तभी ये तय हो गया था की भाजपा किसी भी हाल मे बंगाल जीतने की कोशिश ज़रूर करेगी और इसी कड़ी मे उसने तृणमूल कांग्रेस के कुछ बड़े नेताओं( मुकुल राय, शुभेंद्रू अधिकारी) को अपनी पार्टी मे शामिल कराया और इसके बाद पूरे तृणमूल कांग्रेस मे एक भगदड़ की मच गई, बाद में ममता बनर्जी के एक्शन मे आने के बाद थोड़ा डैमेज कंट्रोल हो सकाl भाजपा इस बार पूरी शिद्दत से बंगाल चुनाव जीतने की कोशिश मे है, भाजपा ने न केवल तृणमूल कांग्रेस को तोड़कर अपना कुनबा मजबूत किया है बल्कि उसने ममता पर मुसलमानों के तुष्टिकरण और बंगाल मे हो रहे हिंसा के लिए ज़िम्मेदार भी ठहरा रही हैl वहीं बंगाल की राजनीति मे अपनी पैठ जमा चुकी ममता बनर्जी अब तक के सबसे बड़े चक्रव्यूह मे फंसी हैं, एक तरफ भाजपा पूरे दम-खम के साथ उनको चुनौती दे रही है वहीं दूसरी तरफ उनकी पुराने प्रतिद्वंदी वाम दल भी कांग्रेस के साथ गठबंधन करके नई ऊर्जा के साथ मैदान मे हैंl ऐसे मे ममता बनर्जी ने अपने नैरेटिव सेट कर दिए हैं, ममता बनर्जी लगातार इस चुनाव को बंगाल बनाम बाहरी और ममता बनाम कौन? के तर्ज पर लड़ रही हैl ये बात सत्य है कि इस समय बंगाल में ममता बनजी के कद का कोई भी नेता ना भाजपा के पास है और ना ही वाम-कांग्रेस गठबंधन के पासl भाजपा के ज़्यादातर नेता या तो तृणमूल के नेता हैं या संघ के कार्यकर्ता जिनकी राज्य में उतनी लोकप्रियता नहीं हैl वहीं पिछले हफ्ते नन्दीग्राम मे एक रैली के दौरान जिस प्रकार ममता बनर्जी को चोट लगी और उसके बाद उसपर जो हो-हंगामा हुआ इससे तृणमूल को काफी फायदा मिल रहा है, इस घटना से उनको सहानुभूती मिल रही हैl लेकिन इन सब के बीच दीदी की निगाह बंगाल के मुस्लिम वोटों पर है, बंगाल मे लगभग 30% से ज़्यादा मुस्लिम मतदाता हैं जो पिछले दो विधानसभा चुनावों से तृणमूल के साथ हैं, वहीं ए आई एम आई एम प्रमुख असदुद्दीन अोवैसी की भी निगाहें भी मुस्लिम वोटों पर है, विशेषकर सीमांचल के सटे इलाके के सीटोंं पर जहाँ मीम को पिछले साल बिहार विधान सभा चुनाव मे पाँच सीटें मिली थीं, लेकिन चुनावी विश्लेषकों को लगता है की अगर बंगाल मे ध्रुवीकरण हुआ तो मुस्लिम मतदाता फिर से तृणमूल के तरफ खिसक सकते हैंl इस बार का त्रिकोणीय बंगाल चुनाव बहुत ही दिलचस्प हैl बाजी किसके हाथ लगेगी ये तो चुनाव परीणाम से ही पता लगेगा लेकिन मेरे आंकलन मे ममता बनर्जी फिर से वापसी कर रही हैंl