मुबारक हो बिहार को अपना ‘यूएपीए’ हुआ है नीतीश सरकार ने पुलिसिया आतंकवाद के सहारे फासिवाद को गले लगाने में यूपी को भी पीछे छोड़ दिया: नजरे आलम

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दरभंगा- बिहार सरकार ने पुलिसिया आतंकवाद के सहारे फासीवाद को गले लगाने की प्रतियोगिता में यूपी को पीछे छोड़ने के लिए कमर कस ली है। बिहार स्पेशल फासीवादी सरकार के मुखिया नीतीश कुमार टीम की कप्तानी करते हुए केंद्र के मशहूर जुमलेबाज़ की तर्ज़ पर जनता को गुमराह कर रहे हैं और विरोध करने वालों को तो आपने देखा ही किस तरह पीट रहे हैं जैसे कोई ख़ानदानी दुश्मनी हो। उक्त बातें ऑल इंडिया मुस्लिम बेदारी कारवाँ के अध्यक्ष नजरे आलम ने मिडिया से बातें करते हुए कही। श्री आलम ने कहा के कल पटना में हुए तांडव के बाद सवाल गंभीर हो रहे हैं और लोकतंत्र के आकाश में फ़ासीवाद बड़े बड़े छेद कर रहा है ताकि तानाशाही की किरणें UV किरणों की तरह सरकार के विरोधियों को जलाकर ख़ाक कर दें।लेकिन हम बिहारी भी ढ़ीठ हैं इनकी बेशर्मी और नंगेपन का जवाब हम अपनी एकता और समझदारी के साथ देंगे। बीजेपी के रिमोट से चल रही सरकार खुद को ये साबित करने के लिए बेचैन है कि वो आरएसएस के सपनों को बिहार में मज़बूती से लागू कर सकती है। पर खाकी चड्डी धारी चेलों को ये नहीं मालूम कि इस मिट्टी ने मुझ जैसे टेढ़ वाले करोड़ो को जन्म दिया जो कभी किसी के आगे दब-झुककर नहीं जी सकते। बिहार ने कभी ऐसे लोगों और ऐसी सरकारों को बर्दाश्त नहीं किया है।अंत में मैं सुशासन बाबू को पागल सांढ़ की संज्ञा देते हुए कहना चाहता हूँ कि मामला गंभीर है जिस जनप्रतिनिधि को लोगों ने सिस्टम से लड़ने के लिए, अपनी आवाज़ सरकार के सामने मज़बूती से रखने के लिए घण्टों लाइन में खड़े होकर अपना मत देकर जिताया और विधानसभा भेजा, आज उसी विधानसभा में अपने विधायक को मामूली डीएम और एसपी से लात-घुसे खाते देखकर उनका इस लोकतंत्र से विश्वास उठ गया है कि इस शासन व्यवस्था में उनको कभी उनका हक नहीं मिलेगा।आज शायद बिहार की सड़कें लोहिया और कर्पूरी को याद कर रो रही होंगी की नीतीश ने उनके बिहार को क्या बना दिया है। यहां जनता और जनप्रतिनिधि पर RSS मानसिकता वाले अफसर अपना हुक्म चलाते हैं, कानून बनाने वालों को सरे आम पीटते हैं और अबतो क्या ही कहना नीतीश के आशीर्वाद से अब तो ये खाकी वाले आतंकवादी किसी के भी घर घुस जाएंगे किसी को भी उठालेंगे और कारण क्या है हज़ारों बहाने तो आप देश में देख ही रहे हैं रोज़ बनते हैं।इसीलिए ज़रूरी है कि विपक्ष की पार्टियां दर्द की गोली खाकर सरकार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने वाले सभी गैर राजनीतिक संस्थाओं और लोगों को अतिशीघ्र संपर्क करके एक महामंथन बुलाकर पूरे बिहार में सरकार के ख़िलाफ़ अहिंसक जनांदोलन की शुरुआत करे और पहली कड़ी में बिहार बंद बुलाकर बिहार की सड़कों को जाम कर दें।

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