शब-ए-बरात की पूरी रात को इबादत में गुज़ारने की परंपरा है नाजिम अली(मिडिया) पत्रकारिता विभाग केंद्रीय विश्वविद्यालय मानू हैदराबाद।

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शब-ए-बरात की पूरी रात को इबादत में गुज़ारने की परंपरा है।दुनिया भर के मुसलमान इस रविवार और सोमवार की दरम्यानी रात का इंतज़ार कर रहे हैं. ये मौक़ा है शब-ए-बारात का. शब-ए-बरात बड़ी बरकत वाली रात है।अल्लाह तआला ने इस रात को मुबारक फ़रमाया है क्यों कि अहले ज़मीन के लिये इस रात में रहमत, बरकत, खै़र, गुनाहों से माफ़ी और मग़फ़रत की बरसात होती है,इसके सबूत में बहुत सी अहादीसे करीमा मौजूद है.इस रात में नमाज़, तिलावत-ए-कुरआन,कब्रिस्तान की ज़ियारत और अपनी क्षमता के अनुसार दान-पुण्य करने में बिताया जाता है।घर में खातून अपने हाथ से शुध् मालवा-मीठा पुलाव कई प्रकार के स्वादिष्ट हलवा बनाए जाते हैं। इस दिन मस्जिद और घर मे नमाज़ और फातेहा पढ़कर दुआ किया जाता है .पिछले साल इस वक्त देश के लोग कोरोना महामारी और लॉकडाउन की पाबंदियों के साथ जी रहे थे तो इस बार भी हालात बेहतर नहीं लग रहे हैं.देश में एक बार फिर से कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के मद्देनज़र कई शहरों और राज्यों में होली और शब-ए-बारात सार्वजनिक तौर पर नहीं मनाने की हिदायत दी गई है.कहीं-कहीं तो पाबंदियां भी लागू हैं.सरकार ने होली और शब-ए-बारात दोनों त्योहार सार्वजनिक रूप से मनाने पर रोक लगाई है शब-ए-बारात के रात छोटे-छोटे बच्चे मोमबत्ती से अपने घर को सजाते हैं और रात के अंधेरों में जलाते हैं और एक दुसरे से खुशी जाहिर करते है .शब-ए-बारात के रात मरहुम के लिए दुआ किया जाता है .लिहाज़ा इस रात में वही काम करें जो अल्लाह तआला और प्यारे नबी को पसंद हैं,तौबा कर लो, गुनाह की बात पे ,आज,बख्शीश की जाएगी इस रात पे .

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