31 मार्च, 2021 को, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में लगभग 25 सामाजिक कार्यकर्ताओं के घरों पर छापा मारा। उन्होंने आरोप लगाया कि छापे मारे इसलिए गए क्योंकि उक्त कार्यकर्ताओं के माओवादियों के साथ संबंध थे। छापे 1 अप्रैल, 2021 की आधी रात तक चले। एनआईए ने कार्यकर्ताओं के घरों से कुछ दस्तावेज और अन्य सामान भी जब्त किए।रघुनाथ वेरोज, तेलंगाना में एक उच्च न्यायालय के अधिवक्ता और नागरिक स्वतंत्रता समिति (CLC) के उपाध्यक्ष, वी.एस. कृष्णा ह्यूमन राइट्स फोरम की, रिवॉल्यूशनरी राइटर्स एसोसिएशन की वरलक्ष्मी और अरुण, ये सब उन 25 कार्यकर्ताओं में से कुछ नाम हैं जिनके घरों पर छापा मारा गया था।आंध्र प्रदेश सिविल लिबर्टीज कमेटी के देवेंद्र, शिल्पा, स्वप्ना, राजेश्वरी और चैतन्य महिला संगम की पद्मा, चिलिका चंद्रशेखर और चित्ती बाबू के घरों पर भी एनआईए ने छापा मारा।यह छापे एनआईए द्वारा पांगी नागन्ना नामक एक कथित माओवादी कूरियर की गिरफ्तारी की जांच के बाद यह छापे मारे गए।जिन कार्यकर्ताओं के घरों पर छापे मारे गए, उन सभी ने किसी ना किसी तरीके से आदिवासियों पर अन्याय के खिलाफ लड़ाई में अपना योगदान दिया है। इसलिए उन्हें सरकार द्वारा इस तरह से निशाना बनाया जा रहा है। उनका एकमात्र अपराध यह है कि वे आदिवासियों और समाज के कमजोर वर्गों पर हो रही हिंसा के खिलाफ़ खड़े थे।मानवाधिकार संगठन एनसीएचआरओ सरकार के इन अन्यायपूर्ण, निरंकुश और डराने वाले पैंतरों की निंदा करता है। हम इस बात को दोहराते हैं कि ये निंदनीय रणनीति हमें चुप नहीं कराएगी और हमें अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने से नहीं रोकेगी।