करौली मे जिस तरीके से हिंसा हुई है यदि स्थानीय प्रशासन चाहता तो इतनी बड़ी घटना को होने से रोक सकता था। प्रशासन की नाकामी और कुछ संगठनों की साजिश के तहत करौली में यह हालात बने हैं।यह प्रारम्भिक तथ्य मानव अधिकार संगठन एनसीएचआरओ द्वारा की गई तथ्यात्मक जांच में जांच दल के सामने आये है।संगठन के प्रदेश महासचिव शब्बीर आज़ाद ने प्रेस बयान जारी करके बताया कि प्रदेश अध्यक्ष टी सी राहुल के निर्देश पर जांच दल ने हिंसा प्रभावित करौली का दौरा किया।जांच दल ने पीड़ित पक्षों से मुलाकात करके हिंसा से संबंधित जानकारी और तथ्य इकट्ठा किए। साथ ही करौली के एसपी और शहर के कई लोगों से भी जांच दल ने बात की। प्राथमिक तौर पर जांच दल के सामने जो तथ्य उभर कर सामने आए हैं वो इस तरफ इशारा करते हैं की बगैर पर्मिशन के भगवा रैली में डीजे बजाया गया और उस डीजे में भड़काऊ गाने चलाए गएऔर रैली जब मस्जिद के सामने पहुंची तब भड़काऊ नारे लगाए गए। जिसके फलस्वरूप हिंसा हुई। यदि स्थानीय प्रशासन चाहता तो घटना इस तरीके का बड़ा विकराल रूप धारण नहीं करती।_प्रदेश के डीजीपी के निर्देश का पूरी तरह पालन नहीं किया गया, तब ही यदि स्थानीय प्रशासन चाहता तो उचित प्रबंध कर के हिंसा होने से रोक सकता था। परिणाम स्वरूप शांति की दुश्मन ताकतों को साम्प्रदायिक षड्यंत्र रचने का पूरा मौका मिला।_उन्होंने बताया कि संगठन जल्दी अपनी विस्तृत रिपोर्ट जारी करेगा और इस रिपोर्ट को देश के मुख्य न्यायाधीश, गृह सचिव, अल्पख्यक आयोग, राजस्थान मुख्यमंत्री कार्यालय तथा राष्ट्रीय और राज्य मानव अधिकार आयोग को भेजा जाएगा। जांच दल में राष्ट्रीय सचिव एडवोकेट अंसार इंदौरी,दिल्ली प्रदेश कार्यसमिति के उपाध्यक्ष एडवोकेट आशुतोष मिश्रा, सदस्य शोएब अहमद, पत्रकार रुख्सार अहमद और सामाजिक कार्यकर्ता रुख्सार शामिल थे।