नई दिल्ली – 5 मई 2022वैश्विक मानवीय मूल्यों और गंगा-जमुनी सभ्यता के प्रतीक ईद मिलन समारोह का जमीयत उलेमा-ए-हिंद द्वारा नई दिल्ली के होटल शंगरीला इरोज़ जनपथ में भव्य आयोजन किया गया । जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी के निमंत्रण पर, जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित महत्वपूर्ण व्यक्तियों, विशेष रूप से पूर्व उपराष्ट्रपति श्री हामिद अंसारी, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर, राजीव शुक्ला, जनार्दन द्विवेदी, माकपा नेता सीता राम येचुरी, प्रसिद्ध राजनीतिक विश्लेषक श्री प्रशांत किशोर, ईसाई धर्मगुरु डॉ. इब्राहिम मैथ्यू, बिशप थियोडोर, सिख धर्मगुरु सिंह ज्ञानी रणजीत सिंह, जमात-ए-इस्लामी हिंद के अमीर सआदतुल्लाह हुसैनी, जमीयत-ए-अहल-ए-हदीस हिंद के अमीर मौलाना असगर अली इमाम मेहदी सलफी, मौलाना तौकीर रज़ा, नबीरा ए आला हज़रत फ़ाज़िल बरेलवी, सहित विभिन्न राष्ट्रीय संगठनो के नेताओं सहित विभिन्न देशों के राजनयिक आदि भी सम्मिलित हुए। मौलाना महमूद मदनी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में आयोजन के उद्देश्य पर प्रकाश डाला और कहा कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद के इस ईद मिलन का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय मानवीय मूल्यों खास तौर पर भारतीय समाज की गंगा-जमुनी सभ्यता में रचनात्मकता पैदा करना है। वह सभ्यता जो इस धरती पर रहने वाले लोगों के दुख-सुख, रिश्तों, खान-पान, उत्सव-शोक और यहां तक कि आर्थिक जरूरतों को भी जोड़ने वाली सभ्यता है। मौलाना मदनी ने कहा कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद का एक सौ साल पुराना इतिहास और परंपरा है जो एकजुट करती है, तोड़ती नहीं, अपनाती है धुतकारती नहीं, इसका इतिहास गले लगाने का है, इसने हमेशा शांति, एकता और एकजुट राष्ट्र पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि इस देश में इस विचार के लोग अधिक हैं। इस देश में सदियों से सभी धर्मों के लोग एक साथ रह रहे हैं, उनका रंग एक है, उनके पूर्वज एक हैं। भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के इंसान एक ही मां बाप से पैदा हुए। इसलिए देश को तोड़ने वाले तत्व कभी कामियाब नहीं होंगे। उनकी साजिशें खाक में मिल जाएंगी। दुनिया में भारत जैसा कोई दूसरा देश नहीं है जिसमें इतनी विविधता है विविधता इस देश की सुंदरता है, जिसे हम सभी को बनाए रखने का प्रयास करना है।मौलाना मदनी ने कहा कि चूंकि ईद रमजान में रोजे का इनाम है, इसलिए हमारे लिए रमजान और रोजे की भावना को समझना जरूरी है। रमजान में भूख का एहसास अमीर और गरीब के बीच की खाई को पाटने के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है। भूखे रहें जिससे कि हम ये समझ सकें की भूख की तकलीफ क्या होती है। धैर्य रखें, क्षमा मांगे, अच्छा कर्म करें, ऐसा करने से सामाजिक अंतर को पाटनेमें मदद मिलेगी। नजदीकियां बढ़ेंगी, शंकाएं दूर होंगी। प्रेम को फलने-फूलने का मौका मिलेगा। एक दूसरे की कमजोरियों और मजबूरियों को नजरअंदाज करने को प्रोत्साहन मिलेगा। और अगर एक समाज के सदस्य एक दूसरे के दर्द को साझा करना, समय पर काम करना और एक दूसरे को अपनाना सीख जाते हैं, तो ऐसे समाज के मन की शांति को किसी विलासिता की आवश्यकता नहीं है। सभी उपस्थित जनों ने मौलाना मदनी के इस भाषण का समर्थन किया। उन्होंने देश को एकजुट करने वाले साधनों और संसाधनों को समाहित करने का संकल्प व्यक्त किया।इस मौके पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीम-उद-दीन कासमी ने अतिथियों का स्वागत किया।इस मौक़े पर, उपरोक्त के अलावा, मौलाना नियाज़ अहमद फारूकी, सचिव, जमीयत उलेमा ए हिंद, डा जफर महमूद, आचार्य प्रमोद कृष्णम, एके मर्चेंट, श्री ओपी शाह, जॉन दयाल, शाहिद सिद्दीकी, एमजे अकबर, श्री नवीद हामिद अध्यक्ष मुस्लिम मजलिस ए मुशवारत, प्रो. अख्तर अल वासे, सलीम इंजीनियर जमात-ए-इस्लामी हिंद, इमरान किदवई, गुलाम किबरिया चिश्ती दरगाह अजमेर शरीफ, वेद प्रकाश वैदिक, तारिक बुखारी, श्री सिराजुद्दीन कुरैशी, खालिद अनवर, एमएलसी बिहार, शकील अहमद कांग्रेस नेता, सैयद सरवर चिश्ती , श्री कासिम रसूल एलियास, राशिद कदवई, योगेंद्र यादव, सैयद सलमान चिश्ती, सदांशु मित्तल, महमूद जिया, आल ए इकबाल, मौलाना सैयद मोहम्मद मदनी, मौलाना मौदूद मदनी, संदीप फुकन दी हिंदू, डॉ एमजे खान, श्री रोशन बेग पूर्व कर्नाटक सरकार के मंत्री, प्रो. एम अफसर आलम कुलपति जामिया हमदर्द, इमरान हुसैन, मंत्री सरकार दिल्ली, जफरुल इस्लाम, बीजेपी सांसद, कुंवर दानिश अली, सांसद ने भी शिरकत की। इनके अतिरिक्त संयुक्त राज्य अमेरिका, फिलिस्तीन, तुर्की, ऑस्ट्रेलिया, ईरान, जर्मनी, जापान, मलेशिया, मंगोलिया, अफगानिस्तान के राजनयिकों ने भी इस समारोह में शिरकत की।