पटना (इंसाफ़ टाइम्स डेस्क) जामिया मिल्लिया इस्लामिया में कथित एडमिशन घोटाले का मामला सामने आया है। यहाँ पीएचडी में एडमिशन लेने छात्र जब यूनिवर्सिटी पहुँचे तो वह यह जान कर हैरान रह गए कि उनका नाम एडमिशन लिस्ट में नहीं। हालाँकि एडमिशन के लिए जो लिस्ट पहले जामिया कंट्रोलर ओफ़ एजामिनेशन से जारी की गयी थी उनका नाम इस लिस्ट में शामिल था। ऐसे में उन छात्रों को यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से जानकारी दी गयी है कि नयी लिस्ट यूनिवर्सिटी के अलग अलग डिपार्टमेंट में जारी की गयी है। उस लिस्ट में जिन छात्रों के नाम हैं वे अपना एडमिशन प्रॉसेस फ़िक्स्ड टाइम फ़्रेम में पूरा करें। उधर छात्रों का आरोप है कि यूनिवर्सिटी में एडमिशन प्रक्रिया में धांधली की जा रही है। पहले यूनिवर्सिटी ने कंट्रोलर ओफ़ एजामिनेशन जो लिस्ट जारी किया था उसमें उनका नाम था लेकिन अब जो दूसरा लिस्ट डिपार्टमेंट की ओर से जारी की गयी है उसमें उनका नाम ग़ायब है। हालाँकि अब तक जामिया में एडमिशन प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता के साथ होती रही है। यह पहला ऐसा मौक़ा है जब यूनिवर्सिटी के ऊपर एडमिशन प्रक्रिया में गड़बड़ी का आरोप लगा है।छात्र नेता नौशाद अहमद रज़ा लिखते हैं कि कई सारे छात्रों को ये कहा गया कि आप जिस विषय में पीएचडी करना चाहते हैं उसमे हम नहीं करा सकते तो वहीं एजेके मास कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट में मुस्लिम कोटा को ही चैलेंज करने की बात सामने आई है इस बारे में सादिक ज़फ़र लिखते हैं कि 19 सेलेक्ट हुए छात्र छात्राओं में से सिर्फ़ 11 का एडमिशन लिया गया है जिसमें सिर्फ 02 मुसलमान है और बाक़ी सेलेक्ट हुए मुस्लिम छात्र छात्राओं को एडमिशन नहीं दिया जा रहा हैइस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर 13 सितंबर को हंगामा शुरू हुआ और अब जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र छात्राओं कि तरफ़ से आंदोलन शुरू होने की भी खबर आरही है