चीन,अमेरिका और ब्रिटेन ने महामारी में जनगणना करा लिया लेकिन मोदी राज में भारत नही करा सका:दीपांकर भट्टाचार्य
महिला आरक्षण को लेकर भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने प्रेस रिलीज़ जारी कर कहा की मोदी सरकार चाहती है कि हम मान लें कि वह महिला आरक्षण लागू करने के प्रति इतनी गंभीर है कि इस के लिए उसने संसद का विशेष सत्र बुलाया है. लेकिन जो बिल लाया गया है उससे सरकार की नीयत का खुलासा हो गया है, यह बिल जनगणना पूरी होने और उसके बाद डिलिमिटेशन की प्रक्रिया चलाने के बाद ही लागू होगा. दीपांकर भट्टाचार्य ने पूछा की इसे तत्काल लागू करने से हमें कौन रोक रहा है?
उन्हों ने कहा की मोदी सरकार भारत के इतिहास की एकमात्र ऐसी सरकार है जो दस साल बाद होने वाली जनगणना को करने में फेल हुई है. कोविड के बावजूद दुनिया में इस महामारी से सर्वाधिक प्रभावित देशों ने – चीन, अमेरिका और ब्रिटेन समेत – अपने यहां जनगणना का कार्य पूरा कर लिया है, बस मोदी के राज में भारत ही फेल हुआ है. महिला आरक्षण संसदीय क्षेत्र में महिलाओं के बेहद कम प्रतिनिधित्व को ठीक करने के समाधान के रूप में देखा जा रहा है. इस समस्या को समझने के लिए हमें एक और जनगणना और डिलिमिटेशन की जरूरत नहीं है.
जो बिल सम्पूर्ण संसदीय गंभीरता का हकदार है उसे लगता है काफी जल्दबाजी में तैयार कर पेश कर दिया गया है. जब क्रिप्प्स मिशन ने भारत के लिए डोमिनियन स्टेटस का प्रस्ताव दिया था, तब महात्मा गांधी ने उसे “एक घाटे वाली बैंक का पोस्ट डेटेड चेक” कहा था, यह बिल भी वैसा ही पोस्ट डेटेड चेक है.
महिला आरक्षण बिल के लिए महिला आंदोलन दशकों से संघर्ष कर रहा है जिसे व्यापक दायरे की प्रगतिशील राजनीतिक शक्तियों का समर्थन प्राप्त है, इसे एक और चुनावी कलाबाजी में पतित नहीं होने दिया जाएगा.