पटना (इंसाफ़ टाइम्स डेस्क) उत्तर प्रदेश के बरेली के अलीगंज क्षेत्र में बचेरा गांव निवासी सुखदेई मौर्या को घर के एक भोज में दो सौ लोगों का खाना फेंकना पड़ा क्यूंकि उन्होंने अपने घर के भोज में दालित समाज के लोगों को आमंत्रित किया था
न्यूज वेबसाईट दी मूकनायक ने अपनी स्टोरी में बताया है कि सुखदेई ने द मूकनायक को बताया कि “मेरे घर मेरे नातिन का नामकरण था जिसमें मैने 250 लोगों को आमंत्रित किया था तभी निमंत्रण बांटने के दौरान ही गांव के ही इतवारी लाल ने हमारे घर खाने से इनकार कर दिया। इतवारी का कहना था कि मेरे घर की दावत में मैंने खाने के आलू वाल्मीकि जाति के लोगों से छिलवाये हैं। मैंने उनकी बातों को विरोध किया। मैंने उनसे कहा कि यह आरोप गलत हैं।”
सुखदेय ने आगे कहा कि इतवारी लाल मौर्या ने ये बात पूरे गांव में फैला दी जिसके बाद सिर्फ 50-60 लोग ही खाना खाने आए और 200 लोगों का खाना हमें फेंकना पड़ा
इस मामले पर बात करते हुए वाल्मीकि परिवार के राहुल बताते हैं कि “सुखदेई के घर मे उनकी नातिन के नामकरण की दावत के लिए निमंत्रण दिया गया था। मेरे साथ ही अन्य दलित परिवारों को भी निमंत्रण दिया गया था। हम सभी दावत में गए थे। इस दौरान इतवारी मौर्य ने हमारे समाज के लोगों को जातिसूचक गालियां देते हुए सुखदेई के घर खाने से इनकार कर दिया था। इसके साथ ही इतवारी ने गांव के अन्य लोगों को भी ऐसा करने के लिए उकसाया।”
ख़बर है की अलीगंज थानाप्रभारी ने इस पर महीला की शिकायत पर एफआईआर कर लिया है