दिल्ली (इंसाफ़ टाइम्स डेस्क) उदयपुर में आयोजित हो रहे नौवें फ़िल्म फेस्टिवल को दो दिन लेट तीसरे दिन ऑडिटोरियम के बजाए गौशाला में आयोजित करना पड़ा
ख़बर है कि इस बार फ़िल्म फेस्टिवल को फलस्तीन के शहीद बच्चों और प्रोफ़ेसर साईं,बाबा को समर्पित किया गया था जो कि हिंदुत्ववादियों को बुरा लगा
दी मूकनायक ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि “तीन दिवसीय फेस्टिवल का आयोजन रवींद्रनाथ टैगोर मेडिकल कॉलेज (आरएनटी) ऑडिटोरियम में 15 से 17 नवंबर तक किया जा रहा था, पहले दिन 180 लोगों ने पंजीकरण कराया और दिनभर फिल्मों का प्रदर्शन सफल रहा, लेकिन दूसरे दिन, शनिवार को, कुछ हिंदूवादी समूह ने फेस्टिवल पर “जिहादी और माओवादी विचारधारा के प्रचार” का आरोप लगाते हुए विरोध शुरू कर दिया,प्रदर्शनकारियों ने आयोजकों पर देश-विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया और धमकी दी कि उनके खिलाफ गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत FIR दर्ज किया जाएगा”
हंगामे के बाद कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर विपिन माथुर ने आगे फेस्टिवल जारी रखने की इजाज़त नहीं दी, मजबूरन आयोजकों ने एक खाली जगह ढूंढी, जहां पहले मवेशी बांधे जाते थे,गोशाला को साफ कर वहां टेंट लगाया गया, और तीसरे दिन का आयोजन वहीं किया गया, लेकिन विरोध और व्यवधान के डर के कारण दर्शकों की संख्या बेहद कम रही, पहले दिन जहां सुबह 10 बजे से रात 8 बजे तक स्क्रीन की गई फिल्मों को अपनी रुचि के अनुसार देखने वालों की संख्या करीब 180 थी वहीं दूसरे दिन 137 रजिस्ट्रेशन हुए थे,तीसरे दिन स्थान बदलने के कारण लोगों को जानकरी नहीं मिल सकी और 50-60 जनों की ही भागीदारी रही
फेस्टिवल के कन्वेनर रिंकू ने कहा कि “यह बेहद निराशाजनक है कि प्रशासन अपनी जिम्मेदारी से भागता है और शरारती तत्वों के दबाव में झुक जाता है,लोगों को अर्थपूर्ण सिनेमा दिखाने और समाज के महत्वपूर्ण इश्यूज पर सोचने के लिए प्रेरित करने वाले ऐसे आयोजन का विरोध करना और प्रदर्शनकारियों का समर्थन दोनों ही गलत है, हम लीगल कारवाई पर विचार कर रहे हैं”
रिंकू ने कहा “उन्होंने बुक स्टाल पर बाबा साहब आंबेडकर पर कुछ पाठ्य सामग्री को देख कर कहा ‘ इस तरह’ की किताबें क्यूँ रखते हो?’