दिल्ली (इंसाफ़ टाइम्स डेस्क) मानव अधिकार कार्यकर्ता,एपीसीआर के राष्ट्रीय महासचिव नदीम खान की गिरफ़्तारी पर दिल्ली हाई कोर्ट ने रोक लगा दिया है
न्यायालय ने गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए कहा कि “राष्ट्र की सद्भावना इतनी नाज़ुक नहीं है”,न्यायालय ने मामले पर दिल्ली पुलिस को नोटिस भेज कर उनका जवाब मांगा है! न्यायालय ने नदीम खान को भी आदेश दिया कि वो जांच में पुलिस का सहयोग करे और बिना इजाज़त दिल्ली से बाहर न जाए
इस मामले में प्रसिद्ध मानव अधिकार संगठनों पीयूसीएल व पीएएसआर और पत्रकारों के संगठन सीएमएफ ने दिल्ली पुलिस की कार्रवाई की निंदा की और मुकद्दमा फ़ौरन वापस लेने की मांग किया
पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) ने कहा कि “पुलिस का आचरण उचित प्रक्रिया और स्थापित कानून के सभी बुनियादी मानदंडों का उल्लंघन करता है, हम इस जांच के तरीके से भी बेहद चिंतित हैं, जहां स्पष्ट रूप से एक दूषित सोशल मीडिया अभियान के जरिए पुलिस और राज्य के अधिकारियों पर नागरिक स्वतंत्रता और संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए लड़ने वालों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करने का दबाव बनाने की कोशिश की गई है”
विभिन्न छात्र संगठनों व मानव अधिकार संगठनों के समूह “कैंपेन अगेंस्ट स्टेट रिप्रेशन (सीएएसआर) ने इसे मानव अधिकार की आवाज़ों व राजनीतिक कैदियों की रिहाई के लिए चल रही कोशिशों को दबाने की आरएसएस और बीजेपी की एक साज़िश बताया,संगठन ने नदीम खान के खिलाफ हो रही इन कार्रवाइयों को फ़ौरन रोकने की मांग कि
देश भर के विभिन्न मीडिया घरानों व पत्रकारों के समूह कोगीटो मीडिया फाउंडेशन (सीएमएफ) ने भी नदीम खान के समर्थन में प्रेस रिलीज़ जारी कर इसे मानव अधिकार की आवाज़ों व सिविल सोसाइटी को दबाने का षडयंत्र बताया और मांग किया कि नदीम खान के खिलाफ़ दर्ज मामले को फौरन वापस लिया जाए
मालूम हो कि दिल्ली पुलिस ने मानवाधिकार कार्यकर्ता नदीम खान के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज किया है, जिसमें सोशल मीडिया पर एक वीडियो अपलोड करने के बाद उन पर दुश्मनी और आपराधिक साजिश को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है
वीडियो एपीसीआर की तरफ़ से जारी किया गया था जिसमें देश भर में मुसलमानों व अन्य समाज के खिलाफ़ दिए गए नफ़रती भाषण,मॉब लिंचिंग के मामलात और दूसरे नफरती हमलों को दर्शाया गया था