दिल्ली (इंसाफ़ टाइम्स डेस्क) गुजरात के पोरबंदर की एक निचली अदालत ने पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को एक मामले में बरी कर दिया है,ये मामला “हिरासत में यातना” से जुड़ा था
पोरबंदर न्यायालय के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मुकेश पंड्या ने संजीव भट्ट को ये कहते हुए बरी कर दिया है कि “अभियोजन पक्ष ‘संदेह से परे’ मामले को साबित नहीं कर सका”
संजीव भट्ट पर आरोप था कि जब संजीव भट्ट पोरबंदर के एसपी थे,तब शिकायतकर्ता नारन जादव को अपराध कुबूल करने के लिए मजबूर किया गया था,साथ ही खतरनाक हथियारों और धमकियों का उपयोग करके आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर किया गया था
नारन जादव 1994 के हथियार बरामदगी मामले में 22 आरोपियों में से एक था
संजीव भट्ट पर और भी मामले चल रहे हैं ,जिसके कारण वो जेल में ही रहेंगे,संजीव भट्ट तब सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने 2002 के गुजरात दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका का आरोप लगाते हुए सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा दायर किया था