दिल्ली (इंसाफ़ टाइम्स डेस्क) महाराष्ट्र के पुणे में “भारत विश्वगुरु” नामक प्रोग्राम को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के चीफ़ मोहन भागवत ने कहा कि “राम मंदिर बनने के बाद कुछ लोगों को लगता है कि बाकी जगहों पर भी इसी तरह का मुद्दा उठाकर वो ‘हिंदुओं के नेता’ बन जाएंगे”
मोहन भागवत ने आगे कहा कि “राम मंदिर आस्था का विषय था, और हिंदुओं को लगता था कि इसका निर्माण होना चाहिए, नफरत और दुश्मनी के कारण कुछ नए स्थलों के बारे में मुद्दे उठाना अस्वीकार्य है”
भारत के समावेशी समाज पर बात करते हुए भागवत ने कहा “भारत को सभी धर्मों और विचारधाराओं के सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व का उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए,’उग्रवाद, आक्रामकता,बल प्रयोग और दूसरों के देवताओं का अपमान करना हमारी संस्कृति नहीं है,यहां कोई बहुसंख्यक या अल्पसंख्यक नहीं है, हम सब एक हैं,इस देश में सभी को अपनी पूजा पद्धति का पालन करना चाहिए, और करने देना चाहिए”
भागवत ने कहा “हमारे यहां हमारी ही बातें सही, बाकी सब गलत यह नहीं चलेगा, अलग-अलग मुद्दे रहें, तब भी हम सब मिलजुल कर रहेंगे, हमारी वजह से दूसरों को तकलीफ न हो इस बात का ख्याल रखेंगे, जितनी श्रद्धा मेरी मेरी खुद की बातों में है, उतनी श्रद्धा मेरी दूसरों की बातों में भी रहनी चाहिए, हमें यह व्यवहार पालन करना होगा और मतों की भिन्नता नहीं चलेगी, लोभ लालच आक्रमण करके दूसरों की देवी देवताओं की विडंबना करना यह नहीं चलेगा”