पंचायतों में महिला अारक्षण की ज़मीनी हकीकत मोहम्मद फैज़ान(संपादक, इंसाफ टाईम्स हिन्दी)

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बिहार में नीतीश कुमार ने सत्ता में आने के बाद 2006 में महिलाअों को पंचायतों में 50% आरक्षण दिया था, सरकार नें महिलाअों को सशक्त करने के लिए और उन्हे समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए ये कदम उठाया था लेकिन जब हम इस प्रयास के ज़मीनी हकीकत का जायजा लेते हैं तो हम देखते हैं कि पंचायतों मे महिलाअों के भागेदारी अब भी महज औपचारिकता भर हैl आज भी पंचायतों में जिन सीटों पर महिलाअों को अारक्षण है वहाँ कुछ अपवादों को छोड़कर पुरूष ही अप्रत्यक्ष रुप से काबिज हैं, महिलाअों को महज चुनाव लड़ने और कुछ औपचारीकताअों तक ही सीमित कर दिया जाता है, सारा काम उनके पति, पुत्र या संबंधी करते हैं, कुछ अपवादों को छोड़कर चुनाव जीतने वालीं ज़्यादातर महिलाएं घर तक ही सीमित हैंl ऐसे में महिलाअों को सशक्त बनाने की पहल का कोई विशेष लाभ मिलता नहीं दिख रहा है और आज भी महिलाअों की स्थिती बदतर हैl लेकिन ऐसा नहीं कि बिहार में हर जगह ऐसी ही स्थिती है कई पंचायतों में महिला प्रतिनिधी सक्रिय होकर काम कर रहीं हैं और उनका प्रदर्शन बहुत ही अच्छा है लेकिन ऐसे इलाको की संख्या बहुत ही कम हैl पंचायत चुनाव में 50% अारक्षण के बावजूद महिलाअों का उत्साहजनक प्रदर्शन न होने के कई कारण हैंl पहला कारण ये है कि हमारा समाज आज भी पुरूष प्रधान है और उसके लिए ये बात बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है कि कोई महिला उनकी प्रतिनिधी हो या उनके फैसले ले, वो आज भी महिलाअों को चुल्हा-चौकी तक सीमित समझता है और ये बात भी कटू सत्य है कि वो उन्हें किसी फैसले में साझेदार भी बनाना नहीं चाहता हैl एक और प्रमुख कारण महिला सुरक्षा भी है, महिलाअों के विरुद्ध हो रहे विभिन्न अपराध भी महिलाअों को सक्रिय होने मे बाधा हैlकोई भी देश उस वक्त तक सशक्त नहीं हो सकता जब तक वहाँ की आधी आबादी सशक्त नहीं हो जाती, बिहार में सरकार ने महिलाअों को सशक्त बनाने के लिए ये कदम उठाया था लेकिन इसका कोई विशेष लाभ नहीं दिख रहाl सरकार का कोई भी कदम उस वक्त तक सफल नहीं हो सकता जब तक लोगों को उस बारें मे पूरी जागरुकता और भागेदारी नहीं होl लोगों कों अपनी सोच में परिवर्तन लानें की आवश्यकता है, साथ ही महिलाअों को अपनी स्थिती बदलने के लिए खूद ही आगे आना पड़ेगा और अपनी समस्यायों को हल करने के लिए प्रयास करना होगाl कोई आयेगा नहीं हालात बदलने के लिए तुम्हे खूद ही खूद को बदलना होगा

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