मुसलमान ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में चिंतित न हों! ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कार्यवाहक महासचिव हजरत मौलाना ख़ालिद सैफ़ुल्लाह रहमानी का बयान

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नई दिल्ली, 8 अप्रैल। ज्ञान वापी मस्जिद बनारस के मामले के संबंध में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कार्यवाहक महासचिव हज़रत मौलाना ख़ालिद सैफ़ुल्लाह रहमानी ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि 1991ई0 में “उपासना स्थल (विशेष उपबन्ध) संरक्षण अधिनियम” के अन्तर्गत 15 अगस्त 1947 को जहाँ जो उपासना स्थल (धार्मिक स्थान) था उसकी स्थिति वही मानी जायेगी, उसमें कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता। इस कानून के पारित होने के बाद साम्प्रदायिक शक्तियों को ओर से ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में न्यायालय में एक याचिका दायर की गयी कि इस स्थान पर पहले एक मन्दिर था, उसका सर्वेक्षण किया जाए, स्पष्ट है कि इस कानून के आने के बाद अब इसकी गुंजाइश शेष नहीं रही इसलिए मस्जिद समिति और उत्तर प्रदेश सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड ने याचिका का विरोध किया और एक स्तर पर याचिका रदद् कर दी गयी लेकिन पुनः यह मामला सिविल कोर्ट में पहुंच गया और मस्जिद कमेटी के पैरवी के आधार पर हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी। हालांकि यह दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि इसके बावजूद सिविल कोर्ट के एक न्यायाधीश ने मस्जिद की भूमि का सर्वेक्षण करने के लिए एक आदेश जारी कर दिया है, यह क़ानून से एक प्रकार का खिलवाड़ है और पूरी तरह से अस्वीकार्य है। मस्जिद समिति और सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड इस मामले को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय जा रहा है। मुसलमानों से अनुरोध है कि वे इस मामले में निराश न हों, मस्जिद समिति और सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड सम्पूर्ण शक्ति के साथ इस मामले की पैरवी कर रहा है और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और उसकी क़ानूनी समिति इस पर नज़र रख रही है और सहयोग भी कर रही है। इंशाअल्लाह साम्प्रदायिक शक्तियाँ विफल होंगी।

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