रमज़ान: रहमत-बरकत और मगफिरत का महीना मोहम्मद फैज़ान( संपादक, इंसाफ टाईम्स हिन्दी)

Spread the love

भारतीय उपमहाद्वीप सहित दक्षिण एशिया के कई देशो में आज से रमज़ान का पवित्र महिना शुरू हो रहा है जबकि खाड़ी और पश्चिमी देशों में कल से ही रमज़ान का महीना शुरू हो गया हैl रमज़ान इस्लामी कैलेंडर का नौवाँ महीना है, इस महीने को रहमत-बरकत और मग़फिरत का महिना भी कहते हैंl रमज़ान अरबी के शब्द “रम्ज़” शब्द से बना है जिसका अर्थ होता है “जलाना” अर्थात ये महिना मुसलमानों के गुनाहों को जला देता हैl रमज़ान में मुसलमान रोज़ें रखते हैं, रोज़ा इस्लाम के बुनियादी स्तंभो में से एक स्तंभ है जो हर बालिग़(व्यस्क) मर्द-औरत पर फर्ज(अनिवार्य) हैl रोज़ा का अर्थ होता है “रोकना” यानी अपने आपको सुब्ह-ए-सादिक(सूरज के निकलने से पहले का समय जब आसमान पर लाली अा जाती है) से लेकर सूरज के ड़ूबने तक खाने-पीने से रोकना हैl सुब्ह ए सादिक से पहले रोजेदार कुछ खाकर अपना रोज़ा शुरू करते है जिसे “सहरी” कहते हैं वहीं सूरज ड़ूबने पर “इफ्तार” करके रोज़ा खत्म किया जाता हैl रमज़ान के बारे में कहा जाता है कि इस महीने में जन्नत का दरवाज़ा खोल दिया जाता है , जहन्नम के दरवाज़े बंद कर दिये जाते हैं और शैतान को कैद कर दिया जाता हैl रमज़ान के महीने में मस्जिदों में तरावीह की विशेष नमाज़ अदा की जाती है जिसमे पवित्र कुरान पूरा पढ़ा जाता हैl रमज़ान में कूल तीन अशरें(अशरा अरबी में दश दिनों को कहते हैं) होते हैंl पहला अशरा यानी पहले दश दिन रहमत के होते हैं दुसरा अशरा माफी का होता है और इसमे अल्लाह से माफी तलब की जाती है और तीसरा अशरा यानी तीसरा दश दिन जहन्नम से आज़ादी का होता है और इन दिनों में जहन्नम से आज़ादी की दुअा की जाती हैl रमज़ान का पूरा महीना ही रहमत-बरकत, इबादत और मगफिरत का है, इस महीने को अल्लाह पाक की इबादत में गुज़ारनी चाहिए और अपने गुनाहों पर नादिम(शर्मिंदा) होना चाहिए और अल्लाह का शुक्रिया अदा करना चाहिए के उसने हमे ये मौका दियाl साथ ही इस बार का रमज़ान पिछले बार की तरह ही कोरोना की विभिषिका के बीच है, हमे सरकार के हर दिशा-निर्देश का पालन करते हुए रमज़ान के कार्यक्रमों को करना चाहिए और भारत सहित पूरे विश्व और मानवता के लिए अल्लाह से दुआ करनी चाहिएl

Leave a Comment