अल्लामा इक़बाल हमारे आइडियल (यौम ए वफात21अप्रैल1938)

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मोहम्मद सालेह अंसारी छात्र इलाहाबाद विश्वविद्यालय इलाहाबाद।मै अक्सर अल्लामा मोहम्मद इकबाल की सायरी पोस्ट करता था तो लोग सवाल करते थे कि अल्लामा ही आपके फेवरेट क्यों है। तो मैंने उनको जवाब दिया अल्लामा इकबाल मेरे फेवरेट हैं क्योंकि वह हमें एक नई उड़ान एक नई ऊंचाई एक नया ख्वाब जीने का एक नया तरीका सोचने के लिए एक अजीम ओ शान दुनिया देते हैं अल्लामा इकबाल हमको इसलिए भी बहुत पसंद है क्योंकि वह जो हमें ख्वाब देते हैं वह जो हमें मंजिल देते हैं उसकी शुरुआत ही सितारों से होती है अल्लामा इकबाल हमें जमीन और इन छोटे-छोटे चीजों का ख्वाब नहीं दिखाते हैं वह हमारे दुनिया की शुरुआत है सितारों से करते हैं और कहते हैं सितारों से आगे जहां और भी हैंlअभी इश्क के इम्तिहान और भी हैं अल्लामा इकबाल मेरे फेवरेट इसलिए भी हो जाते हैंक्योंकि वह हमें शाहीन बनने के लिए कहते हैं शाहीन वह परिंदा है जिसकी उड़ान बहुत ऊंची होती है जिस की निगाह बहुत तेज होती है जो अपने शिकार को जब निशाना बना लेता है तो चाहे उसे कितनी भी कोशिश करनी पड़े कितनी भी मशक्कत करनी पड़े कितनी भी परेशानी उठानी पड़े वह अपने मंजिल को वह अपने शिकार को पा लेता है। अल्लामा इकबाल मेरे फेवरेट इसलिए भी हो जाते हैं क्योंकि वह मुझे हर लम्हा हर पल हर सांस हर जगह हमारी रहनुमाई करते हैं वह हमें जीने का तरीका सिखाते हैं वह हमें चलने का तरीका सिखाते हैं वह हमें किसी शहर किसी मुल्क या किसी जगह का बादशाह नहीं बल्कि पूरी दुनिया का बादशाह बनाना चाहते हैं वह हमको हमारी ताकत की बिना पर हमें उसका एहसास दिलाते हैं जब हम टूट जाते हैं जब हमारी आंखें बंद हो जाती हैं जब हम परेशानियों से घिर जाते हैं तो अल्लामा इकबाल हमारे लिए एक मसअले राह बनकर सामने आते हैं और कहते हैं कि हर सदफ ने गुहर को तोड़ दिया तू ही आमा दहेज जहूर नहीं। अल्लामा इकबाल इसलिए भी हमारे आइडियल हैं इसलिए हमारे हीरो हैं क्योंकि जब हम थक जाते हैं हार जाते हैं हमें कोई रास्ता नहीं दिखता है फिर से वह हमारे सामने आते हैं और कहते हैं कि ऐशे मंजिल है गरीबान ए मोहब्बत पर हराम। सब मुसाफिर है फकत नजर आते हैं मुकीम। इस दुनिया में ऐसे रहना है कि जैसे मुसाफिर रास्ता चलता है।इसी वजह से तो अल्लामा इकबाल हमारे फेवरेट हो जाते हैं कि वह सिर्फ हमें दुनिया भी रहनुमाई नहीं करते हैं बल्कि हमारे असली खुदा से भी हम को जोड़ने का काम करते हैं जैसे अल्लामा इकबाल ने इस शेर में आप सल्लाहू वाले वसल्लम की हदीस को बयान किया है जिस का मतलब है कि इंसान दुनिया में एक मुसाफिर की तरीके से है जिस तरीके से एक मुसाफिर अपनी मंजिल तक का सफर तय करता है उसी तरीके से इंसान भी अपनी मंजिल के लिए हमेशा सफर तय करता है।तो आइए हम अहद करें कि हम आने वाली अपनी जिंदगी के लमहे अल्लामा मोहम्मद इकबाल के रास्ते पर चलेंगे और उनके ख्वाब को जीने की कोशिश करेंगे हम इस दुनिया की तारीकी में नहीं गुम होंगे हमें अपनी मंजिल की शुरुआत सितारों से करनी होगी हमें अपनी मंजिल की शुरुआत एक ऊंचे ऊंची जगह से करनी होगी हमें अपनी मंजिल की शुरुआत अपने ख्वाब की शुरुआत बुलंदी से करनी होगी हमें वह ख्वाब देखना होगा जो हमें इस दुनिया को लीड करने वाला बनाए हमें इस दुनिया को नया ख्वाब देने वाला बनाए।।खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले। खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है।।

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