पटना (इंसाफ टाइम्स डेस्क) कोई भी वर्ग गलत नहीं है, लेकिन किसी भी वर्ग की श्रेष्ठता का सिद्धांत गलत होता है और भारत में ब्राह्मणवाद व ठाकुरवाद ऐसे ही विचार हैं जो अन्य वर्गों, खास कर पिछड़ों और दलितों को गुलाम व जानवर की तरह देखते हैं, इन बातों का इजहार अल-मोमिनीन वेलफेयर फाउंडेशन के अध्यक्ष शरफुद्दीन कासमी ने इंसाफ टाइम्स से बात करते हुए कही , उन्होंने कहा कि महात्मा बुद्ध और सम्राट अशोक से ले कर कांशी राम और लालू प्रसाद यादव तक ने इसी विचारधारा के खिलाफ़ संघर्ष किया। दर्जनों लेखकों और कवियों ने साहित्य के माध्यम से इस असमानता के खिलाफ जागरूकता पैदा करने की कोशिश किया है
शरफुद्दीन कासमी ने मनोज झा के माध्यम से संसद में बाल्मीकि जी की कविता “ठाकुर” पढ़ने को सही ठहराते हुए कहा कि आज जिस तरह देश की व्यवस्था देख रहे केंद्र सरकार के 90 सचिवों की टीम में केवल तीन ओबीसी हैं. वह उसी ठाकुरवाद के विचारधारा का असर है और यही स्थिति आज पूरे देश की व्यवस्था में नज़र आता है, जिस पर मनोज झा ने निशाना साधा है, उन्होंने कहा कि आज जो लोग इस कविता पढ़ने को एक खास वर्ग के खिलाफ बता कर हंगामा कर रहे हैं वह दरअसल मूर्ख और अज्ञानी है, शरफुद्दीन कासमी ने कहा कि ये लोग बीजेपी के इशारे पर ये हंगामा कर रहे हैं ताकि लालू यादव को बदनाम कर सकें लेकिन उनका ये खेल उल्टा पड़ जाएगा क्योंकि ऐसा कर उन्होंने केवल मनोज झा या लालू प्रसाद यादव को नहीं बल्कि वाल्मीकि जी और सामाजिक समानता के लिए लिखने, बोलने व लड़ने वाले सभी मसीहाओं को निशाना बनाया है, जिसका देश के पिछड़े, दलित जोरदार जवाब देंगे।