पटना (प्रेस रिलीज़/इंसाफ़ टाइम्स) सिवान के पूर्व सांसद दिवंगत शहाबुद्दीन के एकलौते पुत्र ओसामा शहाब को दो दिन पहले राजस्थान पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था जिसके बाद राजस्थान की अदालत ने उन्हें उसी दिन जमानत दे दी। इसी बीच आनन फानन में बिहार पुलिस राजस्थान पहुंच ओसामा को गिरफ्तार कर बिहार ले आती है और अदालत ओसामा को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज देती है। लेकिन सवाल ये उठता है के जो क्राइम ओसामा ने किया ही नहीं उसमें गिरफ्तार करने के लिए बिहार पुलिस इतनी उतावली क्यों हो गई के सुबह 4 बजे ही राजस्थान पहुंच गई? जब्कि संगीन धाराओं के आरोपियों को पकड़ने में यही पुलिस नाकाम नजर आती है।
आए दिन हत्या, डकैती, अपहरण जैसी जघन्य अपराध की घटनाएं घटती रहती है, उसे पकड़कर आनन फानन में जेल में क्यों नहीं डालती। इससे साफ स्पष्ट है के मोहम्मद शहाबुद्दीन के बाद उनके एकलौते बेटे ओसामा शहाब को राजनैतिक खुराक बनाया गया है ताकि बिहार में कोई मजबूत लीडरशिप न उभरे।
ओसामा की गिरफ्तारी के खिलाफ बेदारी कारवाँ के राष्ट्रीय अध्यक्ष नजरे आलम ने बिहार के मुखिया नीतीश कुमार से अपील करते हुए ओसामा की अविलंब रिहाई और फर्जी मुकदमेबाजों पर त्वरित कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है। नजरे आलम ने आगे बताया के पिछले दिनों यही गठबंधन की सरकार ने आनन्द मोहन की रिहाई के लिए जेल मैनुअल तक को बदल डाला। आखिर क्या वजह है और कौनसा डर सता रहा है मोहम्मद शहाबुद्दीन के परिवार का जिसे लगातार राजनैतिक स्तर पर कमजोर किया जा रहा है।
क्या गठबंधन चाहती है के बिहार की 18 प्रतिशत आबादी वालों के बीच से सियासत को ही खत्म कर दिया जाए। अगर ऐसा है तो मुझे लगता है गठबंधन की ये सबसे बड़ी गलती होगी। नजरे आलम ने पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी से अपील की है और विश्वास जताया है के नीतीश कुमार जी ओसामा को अविलंब रिहा करवाएंगे और फर्जी मुकदमेबाजों के खिलाफ कानुनी कार्रवाई का आदेश देंगे।