पटना (प्रेस रिलीज़/इंसाफ़ टाइम्स) ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड “हमारे बारह” जैसी फ़िल्मों को बेहद अश्लील, कामुक, भ्रामक, सांप्रदायिक, भड़काऊ, झूठी और बदनाम करने वाली, देश की अखंडता और भाईचारे को नुक़सान पहुंचाने वाली और इस्लामोफ़ोबिक मानता है। बोर्ड सरकार से फ़िल्म की स्क्रीनिंग पर तुरंत रोक लगाने की मांग करता है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. सैयद क़ासिम रसूल इलयास ने एक प्रेस बयान में इस बात पर अत्यधिक आश्चर्य व्यक्त किया कि कैसे फ़िल्म सेंसर बोर्ड ने देश की इस बेतुकी, भ्रामक और बदनाम करने वाली फिल्म को स्वीकृति दे दी है स्क्रीनिंग की जाए। इससे सेंसर बोर्ड की निष्पक्षता पर ही सवाल खड़ा हो जाता है। फ़िल्म का शीर्षक, इसकी थीम, इसकी पूरी कहानी और संवाद न केवल भारतीय मुसलमानों की छवि को धूमिल करने की कोशिश करते हैं बल्कि फ़िल्म इस्लाम धर्म और उसकी शिक्षाओं पर भी आक्रामक हमला करती है।
बोर्ड के प्रवक्ता ने कहा कि भारतीय फ़िल्मों में कई बार इस्लाम और मुसलमानों की छवि को विकृत किया गया है लेकिन इन दिनों ऐसा लग रहा है जैसे ऐसी बदनाम फिल्मों की बाढ़ आ गई है। केरल स्टोरी और कश्मीर फाइल्स में मुसलमानों को आतंकवादी और इस्लाम को आतंक को बढ़ावा देने वाले धर्म के रूप में चित्रित किया गया। अब इस फ़िल्म के माध्यम से पवित्र क़ुरआन की एक आयत को तोड़-मरोड़कर यह साबित करने की कोशिश की गई कि इस्लाम में औरत एक बेकार प्राणी है।
उन्होंने आगे कहा कि पिछले कई दशकों से आधिकारिक जनगणना के आंकड़ों से पता चलता है कि मुसलमानों की जन्म दर बहुत तेज़ी से और लगातार घट रही है लेकिन इसके विपरीत ‘हमारे बारह’ जैसी फ़िल्में बहुसंख्यक लोगों के दिलों में मुस्लिम आबादी के वृद्धि का डर पैदा कर रही हैं।
डॉ. इलियास ने मांग की है कि हमारे बारह जैसी दुर्भावनापूर्ण, मनगढ़ंत और इस्लामोफ़ोबिक फ़िल्म पर तत्काल प्रतिबंध लगाया जाए और एक वर्ग की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए फ़िल्म के निर्माता, निर्देशक और अभिनेताओं पर मुक़दमा चलाया जाए।