लॉ फर्म ने लगाए एनटीए पर गंभीर आरोप
पटना (प्रेस रिलीज़/इंसाफ़ टाइम्स) नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के काम करने का तरीका हमेशा सही नहीं रहा है एनटीए की स्थापना के बाद से ही हर साल परीक्षा में गड़बड़ी के आरोप लगते रहे हैं। एनटीए को साल 2018 में बनाया गया लेकिन उसकी स्थापना के बाद से तकरीबन हर साल परीक्षा में गड़बड़ी और धांधली आरोप लगे हैं। लॉ फर्म ऑडेशस लॉ नेटवर्क से जुड़े कोटा निवासी अधिवक्ता अन्सार इन्दौरी ने बयान जारी कर बताया की साल 2019 में जीईई मेंस के दौरान छात्रों को सर्वर में खराबी होने के कारण परेशानी का सामना करना पड़ा था । साथ ही कुछ जगहों पर छात्रों ने प्रश्न पत्र में देरी की भी शिकायत की थी। नीट अंडर ग्रेजुएट मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम 2020 में एनटीए पर गंभीर सवाल खड़े हुए थे। एग्जाम को कई बार स्थगित करना पड़ा था।इस परीक्षा में कई अनियमितताओ की शिकायतें भी सामने आई थी। साल 2021 में जेईई मेंस के एग्जाम में कुछ गलत प्रश्न को लेकर भी हंगामा देखने को मिला था।कई जगह पर शिक्षा माफियाओं की तरफ से गलत तरीके से एग्जाम पास करवाने की कोशिश का भी आरोप लगा था। 2021 में ही नीट परीक्षा में राजस्थान के जयपुर स्थित भांकरोटा में सॉल्वर गैंग द्वारा गड़बड़ी करने का मामला सामने आया था। इस मामले को लेकर भी देश भर में हंगामा देखने को मिला था। विभिन्न केंद्रीय, राज्य,प्राइवेट और डीम्ड यूनिवर्सिटी में प्रवेश के लिए आयोजित कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट में साल 2022 में गड़बड़ी की शिकायतें हुई थी जिसमें सबसे ज्यादा शिकायत राजस्थान से आई थी इसके बाद एजेंसी को कुछ जगहों पर फिर से एग्जाम करवाना पड़ा था। उन्होंने बताया की 2022 के शैक्षणिक सत्र के लिए एलएलबी और एलएलएम एंट्रेस एग्जाम में “बड़े पैमाने पर धांधली”, प्रश्न पत्र लीक और अंतिम परिणामों में हेरफेर का आरोप लगाते हुए लॉ फर्म ऑडेशस लॉ नेटवर्क ने दिल्ली हाईकोर्ट में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को पार्टी बनाते हुए याचिका WP(C)1204/2023 दायर की हुई है जिसमे अगली सुनवाई 02 अगस्त 2024 को है।
सरकार NEET परीक्षा के 47 दिन बाद NTA में सुधार के लिए कमेटी बनाने का फैसला कर चुकी है, जो NTA में सुधार सुझाएगी। जबकि छात्र समस्या की जड़ में जाना चाहते हैं। स्टूडेंट्स आक्रोश में हैं, उनका कहना है कि ऐसी कौन सी बात है कि जो बार-बार पेपर लीक हो जा रहे हैं। NTA को साल 2017 में बनाया गया, लेकिन उसकी स्थापना के बाद से तकरीबन हर साल परीक्षा में गड़बड़ी और धांधली के आरोप एनटीए पर लगे हैं।
लॉ फर्म के अधिवक्ता मुकेश कुमार द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट में 2022 के शैक्षणिक सत्र के लिए एलएलबी और एलएलएम एंट्रेस एग्जाम में “बड़े पैमाने पर धांधली”, प्रश्न पत्र लीक और अंतिम परिणामों में हेरफेर का आरोप लगाते हुए याचिका दायर की थी । याचिका 19 उम्मीदवारों की ओर से दायर की गई थी , जिन्होंने एलएलबी और एलएलएम कोर्स में एडमिशन के लिए ऑनलाइन एंट्रेस एग्जाम दिया, लेकिन 12 दिसंबर 2022 को घोषित परिणाम में उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया। लॉ फर्म ने अपनी याचिका में कहा है कि एंट्रेस एग्जाम “अधिकारियों और प्रशासन के भीतर राजनीतिक प्रभाव के माध्यम से विशेषाधिकार का आनंद लेने वाले कुछ घोटालेबाजों के बीच सुनियोजित साजिश है” जिसमें प्रश्न पत्र का लीक होना और परीक्षा केंद्र का प्रबंधन शामिल है, जिसके परिणामस्वरूप “कट-ऑफ में अभूतपूर्व वृद्धि” हुई। याचिका में विशेष जांच दल द्वारा 300 से अधिक चिन्हित छात्रों के खिलाफ कदाचार और घोटाले की कथित घटनाओं की स्वतंत्र, विश्वसनीय और निष्पक्ष जांच की मांग करती है। यह याचिका डीयू और एनटीए को बढ़े हुए कट-ऑफ के कारण का आकलन करने और परीक्षा में किसी भी तरह के अनुचित साधनों के उपयोग से लाभ उठाने वाले उम्मीदवारों की पहचान करने के लिए निर्देश देने की भी मांग करती है। याचिका में “घोटाले के पीड़ितों को उनके योग्य स्थान की अनुमति देकर” मुआवजे की भी मांग की गई। लॉ फर्म ने प्रस्तुत किया कि प्रासंगिक प्रमाणों के साथ स्टूडेंट द्वारा अभ्यावेदन किए जाने के बाद भी यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।अपनी याचिका में लॉ फर्म ने “तथाकथित कानून प्रवर्तन एजेंसी, दिल्ली पुलिस ने स्टूडेंट के उनके पास पहुंचने पर लापरवाही से काम किया। दिल्ली पुलिस के असंगत रवैये को इस अधिनियम से जांचा जा सकता है कि उन्होंने एफआईआर दर्ज करने से भी इनकार कर दिया, जो कि भारत में किसी भी व्यक्ति को दिया गया मूल अधिकार है और ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य में अनिवार्य प्रक्रिया भी है। याचिका में कहा गया कि पुलिस के साथ-साथ यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन और एनटीए का आचरण स्पष्ट रूप से मनमाना और दुर्भावनापूर्ण है, जो याचिकाकर्ताओं के शिक्षा के अधिकार, समानता के अधिकार और न्याय के अधिकार के साथ-साथ भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 को भी प्रभावित करता है। इस मामले में NTA ने अपना जवाब अदालत में दे दिया है।
अब 18 जून को हुई UGC-NET की परीक्षा भी रद्द की जा चुकी है।ये फैसला UGC को गृह मंत्रालय से पेपर आउट होने का इनपुट मिलने के बाद लिया गया। इस तरह NTA की स्थापना के 6 सालों में सिर्फ 2 बार, साल 2018 और 2023 में पेपरलीक और गड़बड़ी की शिकायत नहीं मिली, वरना NTA बनने के बाद तकरीबन हर साल परीक्षा सवालों में घिरी रही है।