इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
देशभर में वक्फ कानून के खिलाफ बढ़ती हुई मुहिम के तहत आज दरभंगा के असराया गांव में “तफुज़-ए-औकाफ कांफ्रेंस” का सफल आयोजन किया गया। यह आयोजन आल इंडिया मुस्लिम बेदारी क़ारवाँ और अन्य मदीनी संगठनों के तत्वावधान में हुआ।
कांफ्रेंस की अध्यक्षता मौलाना शिबली कासमी ने की, जबकि संचालन मौलाना जमाल अब्दुल नासिर ने किया। इस बैठक में विभिन्न मजहबी और सामाजिक संगठनों के प्रमुख आलिम, मली क़ायदीन और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया और वक्फ संशोधन बिल पर कड़ी आपत्तियाँ जताई।
कांफ्रेंस में मौलाना हसनैन कासमी, मुफ्ती शकील कासमी, मोहम्मद मुस्तफा सबीली, मुफ्ती अखलाक, कारी क़मरुल इस्लाम, आल इंडिया मुस्लिम बेदारी क़ारवाँ के अध्यक्ष नज़र आलम, मोहम्मद नूर आलम, छोटन मुखिया, जिला परिषद सदस्य अशरफ अहमद, सैफुल इस्लाम (कन्वीनर तफुज़-ए-औकाफ कांफ्रेंस असराया), भाकपा (माले) के नेता धर्मेंद्र यादव, सीपीआई के नेता नारायण जी झा, संदीप चौधरी और अन्य वक्ता शामिल थे।
वक्ताओं ने अपने संबोधन में कहा कि वक्फ कानून न केवल अल्पसंख्यकों के धार्मिक और आर्थिक अधिकारों पर हमला है, बल्कि भारतीय लोकतंत्र और संविधान के चेहरे पर भी दाग है। उन्होंने कहा कि सरकार की नीयत साफ नहीं है, वह हर चुनाव से पहले अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने के लिए नए विवादास्पद कानून लाती है।
वक्ताओं ने यह भी कहा कि वक्फ की संपत्तियां अल्पसंख्यकों की अमानत हैं, इनमें प्रशासनिक खामियों को दूर किया जा सकता है, लेकिन बोर्ड में अन्य वर्गों की भागीदारी स्वीकार नहीं की जा सकती। उन्होंने 5 मई को सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नज़र रखने की बात कही और स्पष्ट किया कि अगर निर्णय उनके खिलाफ आया तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई अब सड़क से संसद तक लड़ी जाएगी।
बिहार सरकार पर भी आलोचना करते हुए वक्ताओं ने कहा कि जो सरकार खुद को अल्पसंख्यक समर्थक बताती है, वह भी चुपचाप तमाशा देख रही है। जनता आगामी चुनावों में इस रवैये का सख्त जवाब देगी। कांफ्रेंस में हजारों की संख्या में महिलाएं और पुरुष शामिल हुए।
सभी वक्ताओं ने एकजुट होकर कहा कि वक्फ एक्ट 2025 का उद्देश्य अल्पसंख्यकों के अधिकारों को सीमित करना है और इस बिल को संविधान के खिलाफ करार दिया। यह स्पष्ट किया गया कि अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला हरगिज़ सहन नहीं किया जाएगा और इस बिल के खिलाफ आवाज़ उठाई जाएगी।