इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
लखनऊ के बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय (बीबीएयू) में यौन उत्पीड़न के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले 20 छात्रों को निलंबित कर दिया गया है, जिससे विश्वविद्यालय परिसर में तनाव का माहौल है। छात्रों का आरोप है कि प्रशासन ने बिना संवाद के यह कार्रवाई की है, जो उनके लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन है।
घटना का विवरण
7 मार्च को संघमित्रा विस्तार महिला छात्रावास में एक छात्रा के साथ कार्यालय सहायक द्वारा छेड़छाड़ का मामला सामने आया था। इस घटना के विरोध में छात्र-छात्राओं ने प्रदर्शन किया, जिसके परिणामस्वरूप आरोपी कार्यालय सहायक विनय और मैट्रन रेनू पांडे को तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया था। मामला आंतरिक शिकायत समिति को सौंपा गया था।
प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल
छात्रों का कहना है कि प्रशासन ने बिना किसी संवाद के 20 छात्रों को निलंबित कर दिया, जो न्यायसंगत नहीं है। उन्होंने इस कार्रवाई के खिलाफ अंबेडकर भवन के सामने प्रदर्शन किया और निलंबन रद्द करने की मांग की। छात्रों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे अनिश्चितकालीन धरने पर बैठेंगे।
कुलपति का आश्वासन
नवनियुक्त कुलपति प्रो. आर. के. मित्तल ने छात्रों से प्रदर्शन समाप्त करने का अनुरोध किया है और समीक्षा बैठक में उचित निर्णय लेने का आश्वासन दिया है।
छात्र संगठनों की मांगें
बीबीएयू के छात्र संगठनों ने निम्नलिखित मांगें रखी हैं:
1.निलंबित किए गए सभी 20 छात्रों का निलंबन तुरंत रद्द किया जाए।
2.प्रशासन छात्राओं को सुरक्षा प्रदान करे और यौन उत्पीड़न के आरोपी पर कठोर कार्रवाई करे।
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं से अपील
छात्र संगठनों ने सभी छात्रों, संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वे अंबेडकर भवन पर चल रहे धरने में अधिक से अधिक संख्या में शामिल हों और विश्वविद्यालय में छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए इस संघर्ष को मजबूत करें।
आगे की राह
यह घटना विश्वविद्यालय प्रशासन और छात्रों के बीच संवादहीनता को उजागर करती है। आवश्यक है कि प्रशासन और छात्र प्रतिनिधि मिलकर इस मुद्दे का समाधान निकालें, ताकि विश्वविद्यालय का शैक्षणिक वातावरण प्रभावित न हो और छात्रों के अधिकारों की रक्षा हो सके।