इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के विधान परिषद सदस्य (MLC) मोहम्मद शुऐब एक नई तरह की साइबर ठगी का शिकार हो गए हैं, जिसे ‘डिजिटल अरेस्ट’ यानी डिजिटल गिरफ्तारी कहा जा रहा है। 8 अप्रैल को उन्हें दो अज्ञात नंबरों से फोन आया। कॉल करने वालों ने खुद को मुंबई पुलिस की साइबर क्राइम यूनिट का अधिकारी बताया और उन्हें कानूनी कार्रवाई व जान से मारने की धमकी दी। डर के मारे मोहम्मद शुऐब करीब 12 घंटे तक घर से बाहर नहीं निकले।
क्या है ‘डिजिटल गिरफ्तारी’?
‘डिजिटल गिरफ्तारी’ साइबर क्राइम की एक नई तरकीब है, जिसमें ठग खुद को सरकारी अधिकारी बताकर आम लोगों या खास शख्सियतों को डराते हैं और उन्हें घर के अंदर बंद रहने या पैसे ट्रांसफर करने के लिए मजबूर करते हैं। इस धोखाधड़ी में पीड़ित को ऐसा महसूस कराया जाता है कि वह कानूनी गिरफ्त में आ चुका है, जबकि हकीकत में यह सिर्फ एक ठगी होती है।
सरकारी चेतावनी और कार्रवाई
गृह मंत्रालय और साइबर क्राइम यूनिट ने इस तरह की ठगी पर गंभीर चिंता जताई है और जनता से सतर्क रहने की अपील की है। साथ ही, ऐसे मामलों की जांच के लिए विशेष टीमें भी बनाई गई हैं।
यह घटना इस बात का प्रमाण है कि अब साइबर अपराधी नेताओं को भी अपने जाल में फंसाने की कोशिश कर रहे हैं। जनता को चाहिए कि किसी भी संदिग्ध कॉल या मैसेज पर तुरंत भरोसा न करें और संबंधित अधिकारियों से संपर्क करें।