इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
मुंगेर के प्रसिद्ध टाउन हॉल में “वक्फ बचाओ, लोकतंत्र बचाओ” शीर्षक से एक जोशीले और सफल सम्मेलन व विरोध सभा का आयोजन हुआ। इस सम्मेलन की अध्यक्षता अमीर-ए-शरीअत मौलाना अहमद वली फैसल रहमानी ने की। उन्होंने अपने विचारोत्तेजक भाषण में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए विवादास्पद वक्फ संशोधन कानून पर गहरी आपत्ति जताई।
*अमीर-ए-शरीअत ने कहा “यह कानून हमारे खैर के निज़ाम को मिटाने की साज़िश है। वक्फ की ज़मीनों पर चल रहे सैकड़ों बीएड कॉलेजों में 80% से अधिक छात्र गैर-मुस्लिम हैं। वक्फ के अस्पतालों में हज़ारों मुफ्त नेत्र ऑपरेशन होते हैं, जिनका सबसे अधिक लाभ गैर-मुस्लिम जनता को होता है।”
उन्होंने आगे कहा, “गाँवों के वे कुएं जिनसे हिन्दू और मुस्लिम दोनों पानी पीते हैं, वे भी अक्सर वक्फ की ज़मीनों पर स्थित हैं। यह कानून सिर्फ मुसलमानों के खिलाफ नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए नुकसानदेह है। हमें यह संदेश हर घर तक पहुँचाना है।”
इस अवसर पर जामिया रहमानी के नाज़िम-ए-तालीमात मौलाना जमी़ल अहमद मज़ाहिरी ने वक्फ संशोधन कानून की शरीअत और संविधान के अनुसार विस्तार से व्याख्या की और बताया कि यह कानून किस तरह संविधान, अल्पसंख्यकों के अधिकारों और इस्लामी शिक्षाओं के खिलाफ है।
कार्यक्रम में विभिन्न विचारधाराओं से जुड़े कई प्रमुख उलेमा, सामाजिक कार्यकर्ता और बुद्धिजीवियों ने भाग लिया और इस कानून का विरोध करते हुए मुस्लिम समुदाय से जागरूक और सक्रिय होने की अपील की।
सम्मेलन के संयोजक जामिया रहमानी के नाज़िम मौलाना मोहम्मद आरिफ रहमानी थे, जिन्होंने इस सफल आयोजन की निगरानी की और इसे एक व्यापक आंदोलन में बदलने के संकल्प का इज़हार किया।
सम्मेलन का जोशीला संचालन जामिया रहमानी के पत्रकारिता विभाग के प्रमुख फ़ज़ले रहमां रहमानी और मुंगेर के काज़ी मुफ्ती रज़ी अहमद नदवी ने किया।
कार्यक्रम का समापन अमीर-ए-शरीअत की रुहानी दुआ पर हुआ, जिसमें उन्होंने उम्मत के हिफाज़त, वक्फ की रक्षा और देश की एकता-संप्रभुता के लिए अल्लाह से मदद की गुहार लगाई।
यह कांफ्रेंस केवल एक विरोध सभा नहीं, बल्कि वक्फ की हिफाज़त और संवैधानिक अधिकारों की बहाली की एक व्यापक मुहिम का आग़ाज़ है।