
इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
आदिवासी और दलित समाज के अधिकारों और पहचान के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रही गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (जीजीपी) एक बार फिर सुर्खियों में है। बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री द्वारा पार्टी पर राम-विरोधी होने और देश-विरोधी ताकतों से जुड़े होने के आरोप लगाए गए हैं। इस बयान ने न केवल राजनीतिक हलचल पैदा की है बल्कि आदिवासी और दलित समाज में आक्रोश की लहर दौड़ा दी है।
*गोंडवाना गणतंत्र पार्टी: संघर्ष और पहचान
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी आदिवासी और दलित समाज की राजनीतिक और सामाजिक सशक्तिकरण की आवाज रही है। जल, जंगल, जमीन के मुद्दों पर संघर्षरत यह पार्टी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, और झारखंड जैसे राज्यों में सक्रिय है। पार्टी का मुख्य उद्देश्य आदिवासी और दलित समाज के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करना और उनके राजनीतिक प्रतिनिधित्व को बढ़ाना है।
पार्टी के नेता बार-बार इस बात पर जोर देते रहे हैं कि आदिवासी समाज की पहचान और परंपराओं को किसी भी सूरत में खत्म नहीं होने दिया जाएगा।
*धीरेंद्र शास्त्री के बयान से उपजा विवाद
हाल ही में वायरल हुए एक वीडियो में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी पर आरोप लगाया कि पार्टी राम-विरोधी है और समाज को बहकाने का काम कर रही है। उन्होंने आदिवासी समाज से अपील की कि वे रामचरितमानस को अपनाएं और अपने धर्म में लौटें।
इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए जीजीपी के प्रदेश अध्यक्ष अमान सिंह पोर्ते ने कहा, “हमारा समाज अपनी परंपराओं और पूजा-पद्धतियों का पालन करता है। धीरेंद्र शास्त्री का बयान संविधान विरोधी है। कोई हमें यह नहीं बता सकता कि हमें क्या पूजना चाहिए।”
*द मूकनायक की रिपोर्ट पर आधारित
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने धीरेंद्र शास्त्री के बयानों को न केवल समाज को आहत करने वाला बताया है बल्कि इसे संविधान के खिलाफ भी ठहराया है। पार्टी के नेताओं ने कहा कि “हम अपने सांस्कृतिक और धार्मिक अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनी कार्रवाई करेंगे।”
*आदिवासी और दलित समाज का आक्रोश
धीरेंद्र शास्त्री के बयान को लेकर आदिवासी और दलित समुदाय में आक्रोश है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, और महाराष्ट्र के विभिन्न इलाकों में विरोध प्रदर्शन की तैयारी की जा रही है। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने प्रशासन से धीरेंद्र शास्त्री के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है।
*संविधान और धार्मिक स्वतंत्रता
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत हर नागरिक को किसी भी धर्म को मानने, उसका पालन करने और प्रचार करने का अधिकार है। आदिवासी समाज को अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक स्वतंत्रता बनाए रखने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 29 और 30 के तहत प्राप्त है।
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के वरिष्ठ नेता राधेश्याम काकोड़िया ने कहा, “धीरेंद्र शास्त्री का बयान संविधान की आत्मा के खिलाफ है। आदिवासी समाज को जबरन किसी धर्म को मानने के लिए मजबूर करना असंवैधानिक है।”
*जीजीपी का राजनीतिक भविष्य
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के लिए यह विवाद राजनीतिक अवसर भी बन सकता है। पार्टी ने आदिवासी और दलित समाज के मुद्दों को राष्ट्रीय स्तर पर उठाने की योजना बनाई है। विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर यह विवाद और गहराता है, तो यह पार्टी के लिए समर्थन बढ़ाने का जरिया बन सकता है।