
इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
बिहार के मधुबनी जिले में पुलिस की बर्बरता का मामला सामने आने के बाद बड़ी कार्रवाई हुई है। हिंदुस्तानी मीडिया की रिपोर्टिंग से यह मामला चर्चा में आया, जिसके बाद प्रशासन पर दबाव बढ़ा और मधुबनी एसपी योगेंद्र कुमार ने प्रशिक्षु डीएसपी गौरव गुप्ता, बेनीपट्टी थाना प्रभारी समेत 5 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया।
*क्या है पूरा मामला?
कटैया गांव निवासी मौलाना मोहम्मद फिरोज़ ने आरोप लगाया कि 31 जनवरी को जब वह अपने ससुराल से लौट रहे थे, तो बेनीपट्टी थाना क्षेत्र के महमदपुर पुल के पास पुलिस ने उनकी बाइक को चेकिंग के लिए रोका। गति तेज होने के कारण वह तुरंत नहीं रुक सके, जिसके बाद पुलिसकर्मी ने उन पर लाठी चला दी। गिरने के बाद जब फिरोज़ ने इसका कारण पूछा, तो पुलिसकर्मियों ने उन्हें बेरहमी से पीटना शुरू कर दिया।
इसके बाद पुलिस फिरोज़ को थाने ले गई, जहां हाजत में बंद कर चौकीदारों से उनकी पिटाई करवाई गई। बर्बरता इस कदर थी कि उनकी कमर और शरीर का निचला हिस्सा काला पड़ गया।
*मीडिया रिपोर्टिंग के बाद बढ़ा दबाव
घटना के बाद जब फिरोज़ को इलाज के लिए पटना पीएमसीएच रेफर किया गया, तब हिंदुस्तानी मीडिया की रिपोर्टिंग ने इस मामले को उजागर किया। इंसाफ़ टाइम्स, मिल्लत टाइम्स, ऑब्जर्वर पोस्ट और मुंबई उर्दू न्यूज़ जैसी मीडिया संस्थाओं ने इसे प्रमुखता से उठाया, जिसके बाद मामला सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और पुलिस प्रशासन पर कार्रवाई का दबाव बना।
*कार्रवाई और निलंबन
मामले की गंभीरता को देखते हुए मधुबनी एसपी योगेंद्र कुमार ने प्रशिक्षु डीएसपी गौरव गुप्ता, बेनीपट्टी थाना प्रभारी और तीन अन्य पुलिसकर्मियों—एएसआई मुकेश कुमार, हवलदार रणजीत कुमार, और सिपाही बिक्रम कुमार को निलंबित कर दिया।
*पुलिस की सफाई, लेकिन उठ रहे सवाल
हालांकि, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी (DSP) निशिकांत भारती ने पुलिस पर लगे आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया कि फिरोज़ खुद गिरकर घायल हुए थे। लेकिन सवाल यह उठता है कि अगर वह बस गिरने से घायल हुए, तो उनकी कमर और शरीर पर गहरे काले निशान कैसे बने?
*आगे क्या?
स्थानीय लोग इस मामले को लेकर प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं और दोषी पुलिसकर्मियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। डॉक्टरों की रिपोर्ट से तय होगा कि फिरोज़ की चोटें पुलिस की बर्बरता का नतीजा हैं या केवल एक दुर्घटना।