इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
वक्फ संशोधन कानून 2025 के खिलाफ शुक्रवार को बेतिया के बड़ा रमना मैदान में एक ऐतिहासिक और विशाल जनसभा का आयोजन हुआ। इमारत-ए-शरिया बिहार, ओडिशा, झारखंड और पश्चिम बंगाल की अपील पर आयोजित इस महाजनसभा में हजारों लोगों ने हिस्सा लिया और इस कानून को वापस लेने की जोरदार मांग उठाई। सभा की अध्यक्षता इमारत-ए-शरिया के अमीर-ए-शरीयत मौलाना अहमद वली फैसल रहमानी ने की, जिनके प्रेरक नेतृत्व ने जनता में जोश और एकजुटता का संचार किया।
जुलूस और सभा में उमड़ा जनसैलाब
नमाज-ए-जुमा के बाद बेतिया के विभिन्न मोहल्लों और आसपास के क्षेत्रों से हजारों लोग जुलूस की शक्ल में सड़कों पर उतरे। यह जुलूस बड़ा रमना मैदान पहुंचा, जहां एक प्रभावशाली जनसभा में तब्दील हो गया। सभा में इंसाफ मंच, भाकपा-माले, राष्ट्रीय युवा संगठन (RYA) और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के समर्थन से विभिन्न वर्गों के लोग शामिल हुए, जिनमें उलेमा, बुद्धिजीवी, छात्र, सामाजिक कार्यकर्ता और आम नागरिक थे।
अमीर-ए-शरीयत का प्रेरक संबोधन
हजरत मौलाना अहमद वली फैसल रहमानी ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में वक्फ की शरई और ऐतिहासिक अहमियत पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “वक्फ संशोधन कानून न केवल वक्फ संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण की साजिश है, बल्कि यह मुस्लिम समुदाय की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान पर सीधा हमला है।” उन्होंने इस कानून को संविधान-विरोधी और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन करने वाला करार देते हुए सरकार से इसे तत्काल निरस्त करने की मांग की। उनके संबोधन ने उपस्थित जनसमूह में एकता और संघर्ष का नया जज्बा पैदा किया।
वक्ताओं ने की कानून की कड़ी निंदा
सभा में मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय युवा संगठन (RYA) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और इंसाफ मंच बिहार के उपाध्यक्ष आफताब आलम ने कहा, “यह कानून संविधान के मूल सिद्धांतों और धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ है। हम इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे।” सिकटा से भाकपा-माले विधायक वीरेंद्र गुप्ता ने भी कानून को अल्पसंख्यक-विरोधी बताते हुए इसके खिलाफ एकजुट संघर्ष की अपील की। अन्य नेताओं ने भी अपने संबोधनों में कानून के खतरनाक परिणामों पर प्रकाश डाला और जनता से एकजुट होकर इसका विरोध करने का आह्वान किया।
कानून को बताया संविधान-विरोधी
वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि वक्फ संशोधन कानून 2025 वक्फ संपत्तियों पर सरकारी हस्तक्षेप को बढ़ावा देता है और गैर-मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड में शामिल करने जैसी शर्तें धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करती हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यह कानून न केवल मुस्लिम समुदाय, बल्कि सभी अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला है। सभा में उपस्थित लोगों ने इस अन्यायपूर्ण कानून के खिलाफ सड़क से लेकर संसद तक संघर्ष करने का संकल्प लिया।
रमना मैदान में ऐतिहासिक एकजुटता
बड़ा रमना मैदान इस ऐतिहासिक सभा का गवाह बना, जहां विभिन्न समुदायों और संगठनों ने एक मंच पर आकर अपनी एकजुटता का प्रदर्शन किया। सभा में शामिल लोगों ने नारे लगाए और बैनर-पोस्टरों के माध्यम से अपनी मांगों को बुलंद किया। यह आयोजन न केवल एक विरोध प्रदर्शन था, बल्कि वक्फ संपत्तियों और धार्मिक पहचान के संरक्षण के लिए एक सामूहिक संकल्प का प्रतीक बन गया।