इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
वक्फ संशोधन कानून 2025 के खिलाफ बिहार में विरोध तेज हो गया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) और इमारत-ए-शरिया बिहार, उड़ीसा, झारखंड व पश्चिम बंगाल के आह्वान पर आज बिहार के विभिन्न जिलों में मुस्लिम समुदाय ने व्यापक विरोध प्रदर्शन किए। बेगूसराय, सीतामढ़ी और अररिया में आयोजित इन प्रदर्शनों ने सरकार के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद की।
बेगूसराय में विशाल जनसैलाब
बेगूसराय की सड़कों पर हजारों लोगों ने ‘We Reject Waqf Bill’ और ‘हिटलरशाही हुकूमत मुर्दाबाद’ जैसे नारे लगाते हुए शांतिपूर्ण लेकिन प्रभावशाली विरोध मार्च निकाला। इस मार्च में मुस्लिम समुदाय के अलावा सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों ने हाथों में बैनर और तख्तियां लिए इस कानून को वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करने की साजिश करार दिया और केंद्र सरकार से इसे वापस लेने की मांग की। बेगूसराय में यह विरोध प्रदर्शन बड़े पैमाने पर आयोजित हुआ, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि यह मुद्दा सिर्फ एक संगठन का नहीं, बल्कि पूरे मुस्लिम समुदाय की चिंता है।
सीतामढ़ी में मौन जुलूस और ज्ञापन
वहीं सीतामढ़ी में लगभग 50,000 से 1 लाख लोगों की भारी भीड़ ने मौन जुलूस और प्रोटेस्ट मार्च के जरिए अपना विरोध दर्ज कराया। इस कार्यक्रम में अनुशासन और एकता का विशेष ध्यान रखा गया। कार्यक्रम के अंत में 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधिकारी (DM) को ज्ञापन सौंपा, जिसमें वक्फ संशोधन कानून को असंवैधानिक और अल्पसंख्यक अधिकारों पर हमला बताया गया। ज्ञापन में इस कानून को वापस लेने की मांग की गई है और आशा जताई गई कि यह दस्तावेज़ नीति निर्माताओं तक अवश्य पहुंचेगा।
अररिया में सांसद पप्पू यादव के साथ विरोध
अररिया जिले में भी वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ विरोध की लहर ने जोर पकड़ा। यहाँ पर सांसद पप्पू यादव ने भी इस विरोध प्रदर्शन में भाग लिया और केंद्र सरकार के इस कदम की निंदा की। सांसद पप्पू यादव ने वक्फ संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण के इस प्रयास को लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला बताया और वक्फ कानून को असंवैधानिक करार दिया। अररिया में यह प्रदर्शन एकजुटता का प्रतीक बना और हजारों लोग इसमें शामिल हुए। इस प्रदर्शन ने और भी दिखा दिया कि यह मुद्दा केवल मुस्लिम समुदाय का नहीं, बल्कि पूरे देश के लोकतांत्रिक मूल्यों का है।
वक्ताओं का आरोप
प्रदर्शनों के दौरान वक्ताओं ने कहा कि यह संशोधन न सिर्फ वक्फ संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण का रास्ता खोलता है, बल्कि यह मुस्लिम समुदाय की धार्मिक, सामाजिक और शैक्षिक संस्थाओं के अस्तित्व के लिए भी खतरा है। सभी प्रदर्शनों में इस बात को बार-बार दोहराया गया कि वक्फ संपत्तियाँ भारतीय मुस्लिम समाज की महत्वपूर्ण धरोहर हैं और उन पर किसी भी प्रकार का सरकारी नियंत्रण स्वीकार नहीं किया जाएगा।
बिहार से उठी आवाज बन सकती है राष्ट्रीय आंदोलन की भूमिका
बेगूसराय, सीतामढ़ी और अररिया जैसे जिलों में उमड़ा जनसैलाब यह दर्शाता है कि यह विरोध सिर्फ किसी संगठन का नहीं, बल्कि व्यापक मुस्लिम समुदाय की चिंता है। यदि सरकार ने जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो यह विरोध राज्य भर में और भी व्यापक रूप धारण कर सकता है। यह विरोध जल्द ही राष्ट्रीय स्तर पर भी उठ सकता है, क्योंकि इसमें सभी धर्मों और जातियों के लोग एकजुट होकर सामूहिक रूप से अपनी आवाज़ उठा रहे हैं।