इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
ऑपरेशन सिन्दूर के बाद भारत-पाक सीमा पर बढ़ते तनाव का सबसे भयावह असर जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले आम नागरिकों पर पड़ रहा है। पाकिस्तान की ओर से की जा रही भारी गोलीबारी और मोर्टार हमलों में अब तक करीब 12 कश्मीरी नागरिकों की मौत हो चुकी है, जबकि 40 से अधिक लोग घायल हुए हैं। हालात के बिगड़ते स्वरूप को देखते हुए मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी, हैदराबाद के छात्र संगठन आजाद यूनाइटेड स्टूडेंट्स फेडरेशन (AUSF) ने एक बयान जारी कर भारत सरकार से अपील की है कि वह कश्मीर की आम जनता की सुरक्षा को प्राथमिकता दे।
“नागरिकों की जान बचाना सर्वोपरि हो”: AUSF
AUSF के बयान में कहा गया है “सीमा पार से हो रही लगातार गोलीबारी में निर्दोष नागरिकों की जान जा रही है। ऐसे में सरकार की यह नैतिक और संवैधानिक जिम्मेदारी बनती है कि वह तत्काल राहत कार्य शुरू करे, घायलों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराए और सुरक्षित इलाकों में लोगों को स्थानांतरित करे।”
संगठन ने यह भी मांग की कि सभी प्रभावित इलाकों में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए और सुरक्षित शिविर बनाए जाएं ताकि भयभीत नागरिकों को सहारा मिल सके।
सीमावर्ती इलाकों में तबाही का आलम
पुंछ,राजौरी और कश्मीर घाटी के कई गांवों में लोग अपने घरों में कैद हैं। हर पल मौत का खतरा मंडरा रहा है। कई जगहों पर बिजली, पानी और मेडिकल सहायता की भारी किल्लत है। सरकारी तंत्र की सक्रियता ना के बराबर दिख रही है।
पाकिस्तानी हमलों में निर्दोष बने निशाना
भारतीय सेना द्वारा ऑपरेशन सिन्दूर के तहत पाक अधिकृत क्षेत्र में नौ आतंकी शिविरों को नष्ट किए जाने के बाद पाकिस्तान की ओर से जवाबी फायरिंग में निर्दोष नागरिक मारे जा रहे हैं। जानकारों के अनुसार, हालिया हमलों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। यह स्थिति बेहद चिंताजनक है।
“युद्ध नहीं, नागरिक सुरक्षा चाहिए”
AUSF ने यह भी कहा कि,
“हम राष्ट्रीय सुरक्षा के पक्षधर हैं लेकिन किसी भी कीमत पर आम नागरिकों की जान नहीं जानी चाहिए।
संगठन ने यह अपील भी की कि मीडिया, मानवाधिकार संगठनों और छात्र वर्ग को आगे आकर पीड़ितों की आवाज़ बुलंद करनी चाहिए।