फ़ितना और ईरतदाद के दौर में ईमान की रौशनी: जामिया इस्लामिया मुज़फ़्फ़रपुर में मुफ़्ती उबैदुल्लाह असअदी का ख़िताब आज मगरिब बाद होगा

इंसाफ़ टाइम्स डेस्क

धार्मिक भ्रम, वैचारिक गुमराही और धर्मत्याग (ईरतदाद) जैसे चैलेंजों से भरे इस दौर में जब नई पीढ़ी ईमान और अक़ीदे से दूर होती जा रही है, ऐसे समय में देश के बडे़ और भरोसेमंद उलेमा की रहनुमाई बेहद अहम हो जाती है। इसी उद्देश्य के तहत जामिया इस्लामिया मुज़फ़्फ़रपुर, ज़करिया कॉलोनी, सादपुरा में 15 जून 2025, रविवार को मगरिब से ईशा तक एक महत्वपूर्ण इल्मी व रूहानी सभा आयोजित की जा रही है।

इस विशेष कार्यक्रम को फिक़्ह अकादमी इंडिया के सेक्रेटरी और जामिया अरबिया हथौड़ा, बांदा (उत्तर प्रदेश) के शैख़ुल हदीस हज़रत मौलाना मुफ़्ती सैयद उबैदुल्लाह असअदी संबोधित करेंगे।

इसकी जानकारी देते हुए जामिया के संस्थापक व मोहतमिम मुफ़्ती मोहम्मद जमाल अकबर मुज़फ़्फ़रपुरी ने बताया कि मुफ़्ती उबैदुल्लाह असअदी इस समय बिहार के एक छोटे लेकिन उद्देश्यपूर्ण दौरे पर हैं, और मुज़फ़्फ़रपुर में यह सभा उनके उसी दौरे का एक अहम हिस्सा है। उन्होंने कहा कि हज़रत असअदी जैसी उच्च कोटि की आलिमे-दीन की मेज़बानी होना हमारे लिए सौभाग्य की बात है।

उन्होंने कहा कि आज का समय मज़हबी भ्रम, धर्मत्याग, सोशल मीडिया के गुमराह करने वाले प्रभाव और वैचारिक भटकाव का समय है। ऐसे में नई पीढ़ी को दीनी और नैतिक रास्ते पर बनाए रखने के लिए हमें अपने बुज़ुर्ग उलेमा की संगत और रहनुमाई की ज़रूरत है। यही लोग संतुलन, सच्चाई और ईमानदारी के साथ मिल्लत की रहनुमाई करते हैं।

मुफ़्ती जमाल अकबर ने ज़ोर देते हुए कहा कि सिर्फ़ डिग्री या औपचारिक तालीम से दीन की असल रूह को नहीं बचाया जा सकता। इसके लिए वैचारिक प्रशिक्षण, रूहानी इस्लाह और दीनी मार्गदर्शन की ज़रूरत है, जो सिर्फ़ सच्चे उलेमा की संगत से हासिल होता है।

उन्होंने कहा कि जामिया इस्लामिया मुज़फ़्फ़रपुर का मिशन सिर्फ़ दर्स-ए-निज़ामी की तक़मील नहीं है, बल्कि दीनी चेतना और वैचारिक गहराई को आम करना इसका मूल उद्देश्य है। यही सोच इन धार्मिक सभाओं के आयोजन का आधार है।

कार्यक्रम में मुज़फ़्फ़रपुर शहर और आसपास के इलाकों के उलमा, समाजसेवी, शिक्षाविद, धार्मिक संस्थानों के प्रतिनिधि, छात्र और आम लोग बड़ी संख्या में शिरकत करेंगे। मुफ़्ती जमाल अकबर ने तमाम लोगों से अपील की है कि वे इस महत्वपूर्ण सभा में शामिल होकर मुफ़्ती उबैदुल्लाह असअदी साहब के ईमान अफ़रोज़ विचारों से लाभान्वित हों।

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