इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
ख़िदमत एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में पैट्रियट पब्लिक स्कूल, दानी में एक भव्य शैक्षणिक जागरूकता सम्मेलन और पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में दीनी और आधुनिक शिक्षा की अहमियत, सीरत-ए-नबी ﷺ की रौशनी, कैरियर मार्गदर्शन और शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया।
सम्मेलन की पहली कड़ी सीरत-ए-नबी ﷺ से जुड़ी प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता थी, जिसमें विभिन्न स्कूलों के छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और इस्लामी इतिहास व पैग़ंबर मुहम्मद ﷺ की जीवनी से जुड़े सवालों के ज़रिये अपनी धार्मिक जानकारी और समझ का परिचय दिया।
दूसरे सत्र की अध्यक्षता दरभंगा की डिप्टी मेयर नाज़िया हसन ने की। इस सत्र में ऑल दरभंगा स्तर पर आयोजित सीरत-ए-नबी ﷺ के भाषण एवं लेखन प्रतियोगिता में सफल प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया। साथ ही 10वीं और 12वीं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली छात्राओं को भी पुरस्कार देकर उनका उत्साहवर्धन किया गया। अपने संबोधन में नाज़िया हसन ने छात्राओं से कहा कि वे दीनी और दुनियावी शिक्षा से लैस होकर एक शरीफ़, ख़ुद्दार और आत्मनिर्भर महिला बनें।
सम्मेलन की तीसरी और सबसे अहम कड़ी मगरिब की नमाज़ के बाद आयोजित हुई, जिसकी अध्यक्षता दारुल उलूम देवबंद के हदीस के उस्ताद और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मुफ्ती अशरफ़ अब्बास क़ासमी ने की। संचालन के फ़राइज़ मौलाना मुस्तफ़ा सबीली ने निभाए।
इस सत्र में देश के प्रतिष्ठित उलेमा और विद्वानों ने शिरकत की, जिनमें मुफ्ती ख़बीब अहमद क़ासमी (संस्थापक व निदेशक, मअहदुल कुरआन वस्सुन्ना, दरभंगा),मुफ्ती आफ़ताब आलम ग़ाज़ी (संस्थापक व निदेशक, मअहदुत्तैयबात, दरभंगा),मुफ्ती सादिक़ अहमद ख़ान (पूर्व क़ाज़ी, मुंबई),मौलाना ज़की अहमद नदवी (उस्ताद, मदरसा तालीमुल कुरआन, बस्ती),मौलाना ज़फ़र आलम कैफ़ी (दारुल उलूम, बालासाथ),डॉ. ग़ुलमान रज़ा (उस्ताद, इंटरनेशनल इंडियन स्कूल, जेद्दा) के नाम शामिल है
कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री जनाब मोहम्मद अली अशरफ़ फ़ातमी ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की और युवाओं को तकनीकी शिक्षा व व्यापार के क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में मुफ़्ती अशरफ़ अब्बास क़ासमी ने कहा कि इस्लाम के पैग़ाम की शुरुआत ही “इक़रा” यानी शिक्षा से होती है। मुसलमानों को जहाँ एक ओर अच्छे हाफ़िज़, आलिम, मुफ़्ती, क़ाज़ी और मुफ़स्सिर चाहिए, वहीं दूसरी ओर समाज को अच्छे वकील, पत्रकार, राजनीतिज्ञ और व्यापारी भी चाहिए। ऐसे शैक्षणिक कार्यक्रम नई पीढ़ी के लिए एक मार्गदर्शक और प्रेरणास्रोत हो सकते हैं।
मुफ़्ती आफ़ताब ग़ाज़ी ने बच्चों को सीरत-ए-नबी ﷺ का अध्ययन करने और उसे अपनी ज़िंदगी में लागू करने की सलाह दी, जबकि मौलाना ख़बीब क़ासमी ने छात्रों से कहा कि वे मेहनत और मज़बूत इरादे के ज़रिये दुनिया और आख़िरत की हर बुलंदी हासिल कर सकते हैं।
मौलाना ज़की नदवी ने इस तरह के कार्यक्रमों की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए इनके दायरे को और फैलाने की बात कही। डॉ. ग़ुलमान रज़ा ने 10वीं और 12वीं के बाद कैरियर विकल्पों पर विस्तार से बात की और छात्रों को मार्गदर्शन दिया।
ख़िदमत एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के सचिव मुफ़्ती अब्दुल्ला नदवी एडवोकेट ने सभी मेहमानों का आभार व्यक्त करते हुए बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों को सीरत-ए-नबी ﷺ और इस्लामी जीवन प्रणाली से परिचित कराना है ताकि वे कुरआन-सुन्नत की रौशनी में एक नेक और सफल ज़िंदगी बिता सकें। साथ ही उन्हें विभिन्न कैरियर विकल्पों की जानकारी भी देना है, ताकि वे अपने भविष्य के लिए सही दिशा चुन सकें।
उन्होंने बताया कि 16 और 17 मई को दानी और दरभंगा के चार केंद्रों—उर्दू मिडिल स्कूल सढ़वारा, उर्दू प्राइमरी स्कूल दानी, मदरसा ज़िया-उल-इस्लाम जलवारा और सिद्दीक़ात गर्ल्स एकेडमी दरभंगा—में सीरत-ए-नबी प्रतियोगिता के भाषण और लेखन मुकाबले आयोजित किए गए थे, जिनमें 300 से अधिक छात्रों ने भाग लिया। इसी क्रम में इस सम्मेलन में पुरस्कार वितरण किया गया।
कार्यक्रम की एक और विशेषता यह रही कि दानी पंचायत के उन छात्रों को विशेष रूप से सम्मानित किया गया जिन्होंने 10वीं और 12वीं कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया। साथ ही क्षेत्र की कई प्रतिष्ठित शैक्षणिक, धार्मिक, सामाजिक व राजनीतिक हस्तियों को मोमेंटो भेंट कर सम्मानित किया गया। इनमें मुफ़्ती ख़बीब क़ासमी, मौलाना ज़फ़र कैफ़ी, मौलाना ज़की नदवी, क़ैस आलम, डॉ. उमैर साक़िब, फ़ैसल रहमान आमिर, डॉ. अनवर अशरफ़ और असग़र अली के नाम उल्लेखनीय हैं।
कार्यक्रम में आसपास के इलाक़ों से बड़ी संख्या में उलेमा, बुद्धिजीवी, शिक्षक और आम लोग मौजूद रहे, जिससे यह सम्मेलन एक सफल और व्यापक शैक्षणिक आयोजन में तब्दील हो गया।