इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
भारत ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि कश्मीर मुद्दे पर किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से सीधी बातचीत में यह दो-टूक संदेश दिया है कि कश्मीर एक भारत-पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मामला है और इसमें किसी बाहरी ताकत की कोई भूमिका नहीं हो सकती।
यह बयान विदेश सचिव विक्रम मिश्री ने एक वीडियो संदेश के माध्यम से सार्वजनिक किया। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच हाल ही में हुई 35 मिनट की टेलीफोन वार्ता में यह मुद्दा प्रमुख रूप से उठा।
विदेश सचिव मिश्री ने कहा “प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति ट्रंप को स्पष्ट रूप से बताया कि न तो किसी स्तर पर भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर कोई बातचीत हुई, और न ही भारत-पाकिस्तान संबंधों में अमेरिका की मध्यस्थता को लेकर कोई चर्चा हुई है।”
यह प्रधानमंत्री मोदी की ओर से राष्ट्रपति ट्रंप के हालिया दावों पर पहली आधिकारिक प्रतिक्रिया मानी जा रही है, जिनमें उन्होंने कहा था कि भारत-पाकिस्तान तनाव को सुलझाने के लिए मध्यस्थता उन्होंने करवाया था
भारत ने हमेशा से यह रुख अपनाया है कि कश्मीर और अन्य द्विपक्षीय मसले केवल भारत और पाकिस्तान के बीच आपसी बातचीत से सुलझाए जाएंगे। यह नीति 1972 के शिमला समझौते और 1999 के लाहौर घोषणा पत्र में भी स्पष्ट रूप से दर्ज है।
मोदी सरकार की ओर से यह कड़ा रुख ऐसे समय में आया है जब अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों से कई बार कश्मीर पर बयानबाज़ी होती रही है। लेकिन भारत ने बार-बार यह दोहराया है कि जम्मू-कश्मीर उसका अभिन्न अंग है और वहां की स्थिति पूरी तरह आंतरिक मामला है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह संदेश केवल अंतरराष्ट्रीय समुदाय को ही नहीं, बल्कि घरेलू राजनीति और जनता के लिए भी एक मजबूत संकेत है कि भारत अपनी संप्रभुता और अखंडता के मामलों में कोई समझौता नहीं करेगा।