इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाते हुए राज्य की आवास योजनाओं (हाउसिंग स्कीम) में मुसलमानों को मिलने वाला आरक्षण 10% से बढ़ाकर 15% कर दिया है। यह फैसला अल्पसंख्यक समुदाय को सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है।
राज्य सरकार के मुताबिक, यह आरक्षण उन मुसलमानों को मिलेगा जो आर्थिक रूप से पिछड़े हैं और जो पहले से ही राज्य की अन्य कल्याणकारी योजनाओं के अंतर्गत आते हैं। नई व्यवस्था का लाभ राज्य की ‘बसवसिरा योजना’, ‘अश्रय योजना’ जैसी प्रमुख हाउसिंग स्कीमों में मिलेगा।
राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ने इस फैसले को सामाजिक न्याय की दिशा में मजबूत कदम बताया। उन्होंने कहा कि यह निर्णय उन गरीब और वंचित मुसलमान परिवारों को घर दिलाने में मदद करेगा जो अब तक योजनाओं से बाहर रह जाते थे।
जहां मुस्लिम संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस फैसले का स्वागत किया है, वहीं विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस पर आपत्ति जताते हुए इसे “तुष्टिकरण की राजनीति” करार दिया है। भाजपा नेताओं का कहना है कि कांग्रेस सरकार वोट बैंक की राजनीति कर रही है और आरक्षण की संवैधानिक सीमा को चुनौती दे रही है।
राज्य सरकार द्वारा गठित पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिशों के आधार पर यह निर्णय लिया गया है, जिसमें मुस्लिम समुदाय की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए यह सुझाव दिया गया था कि उन्हें आवास योजनाओं में अतिरिक्त प्राथमिकता दी जाए।
सरकार के इस फैसले को लागू करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और जल्द ही इससे जुड़े दिशानिर्देश ज़िलों को भेजे जाएंगे। उम्मीद की जा रही है कि इससे हजारों मुस्लिम परिवारों को स्थायी आवास की सुविधा मिल सकेगी।