इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्यमंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान को सोशल मीडिया पर जान से मारने की धमकी मिलने के बाद बिहार की राजनीति में हलचल तेज़ हो गई है। धमकी देने वाले ने चिराग को “20 जुलाई तक बम से उड़ाने” की चेतावनी दी है। इस मामले में पार्टी की ओर से पटना साइबर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।
पार्टी प्रवक्ता राजेश भट्ट के अनुसार, यह धमकी इंस्टाग्राम अकाउंट ‘Tiger Meraj Idisi’ से मिली है। आरोपी ने सार्वजनिक रूप से टिप्पणी करते हुए लिखा, “चिराग पासवान की हत्या मेरे हाथों होगी, 20 जुलाई तक तुम्हें बम से उड़ा दूंगा।” इस गंभीर बयान के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं और केंद्रीय मंत्री के समर्थकों में रोष है।
धमकी मिलते ही लोजपा (रा) नेताओं ने पटना के साइबर थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई। पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए आईटी एक्ट और आईपीसी की सुसंगत धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।
साइबर डीएसपी नीतीश चंद्र धरिया ने बताया कि इंस्टाग्राम अकाउंट की पहचान की जा रही है और तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर आरोपी तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है।
यह धमकी ऐसे समय पर आई है जब चिराग पासवान ने बिहार विधानसभा चुनाव में 243 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है। पार्टी की बढ़ती सक्रियता और चिराग की लोकप्रियता को देखते हुए यह आशंका जताई जा रही है कि यह धमकी राजनीतिक साजिश का हिस्सा हो सकती है।
लोजपा (रा) के सांसद अरुण भारती ने इस धमकी के पीछे विपक्षी दलों की भूमिका पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि “बिहार में जंगलराज लौटाने की कोशिश हो रही है। चिराग जी की लोकप्रियता कुछ लोगों को हज़म नहीं हो रही है।”
पार्टी ने केंद्र और राज्य सरकार से चिराग पासवान की सुरक्षा बढ़ाने की मांग की है। दिल्ली और पटना स्थित उनके निवास पर सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा भी की जा रही है।
चुनाव आयोग से भी अनुरोध किया गया है कि आगामी चुनावों में सभी नेताओं की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए।
यह घटना न केवल एक केंद्रीय मंत्री के लिए खतरे की घंटी है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि सोशल मीडिया किस तरह राजनीतिक हिंसा का माध्यम बनता जा रहा है।
सवाल यह भी उठता है कि क्या हमारे साइबर कानून और एजेंसियां इतने सक्षम हैं कि इस तरह की धमकियों का त्वरित और प्रभावी जवाब दे सकें?
एक तरफ राजनीतिक दल चुनावी तैयारियों में जुटे हैं, वहीं दूसरी ओर उनके नेताओं को जान से मारने की धमकियां मिलना लोकतांत्रिक मूल्यों पर गहरा सवाल खड़ा करता है।
चिराग पासवान को मिली यह धमकी केवल एक व्यक्ति विशेष पर हमला नहीं, बल्कि लोकतंत्र की गरिमा और सुरक्षा व्यवस्था की परीक्षा भी है।