इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
राजधानी पटना एक बार फिर छात्र आक्रोश का केंद्र बन गई, जब राज्य भर से आए हजारों छात्रों ने डोमिसाइल नीति लागू करने की मांग को लेकर सड़क पर उतरकर सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया। आंदोलन के दौरान छात्रों और पुलिस के बीच तीखी झड़पें हुईं,।
डोमिसाइल नीति को लेकर छात्रों का कहना है कि बिहार की सरकारी नौकरियों में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता मिलनी चाहिए, लेकिन वर्तमान सरकार ने बाहरी राज्यों के उम्मीदवारों को बहाल कर बिहार के छात्रों के हक पर चोट की है। आंदोलनकारी छात्रों का आरोप है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नीतियों के चलते झारखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के हजारों अभ्यर्थियों को शिक्षक, पुलिस और क्लर्क जैसे पदों पर नियुक्त किया गया है, जबकि बिहार के छात्र पलायन और बेरोजगारी के शिकार हैं।
प्रदर्शन के दौरान डाकबंगला चौराहा, कारगिल चौक और सचिवालय मार्ग पर भारी पुलिस बल की तैनाती की गई थी। छात्रों ने जब मुख्यमंत्री आवास की ओर मार्च करने की कोशिश की, तो पुलिस ने उन्हें बलपूर्वक रोक। पुलिस की सख्ती को लेकर विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने सरकार पर हमला बोला है।
इधर, जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने डोमिसाइल आंदोलन का खुला समर्थन करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा “बिहार के बच्चे दूसरे राज्यों में मजदूरी कर रहे हैं, और बाहरियों को यहां की सरकारी नौकरियां दी जा रही हैं। यह सिर्फ नीति नहीं, बिहार के युवाओं के भविष्य के साथ धोखा है। नीतीश, तेजस्वी और सम्राट सत्ता में रहते हुए डोमिसाइल पर चुप क्यों रहते हैं?”
प्रशांत किशोर ने यह भी कहा कि जब तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री थे, तब शिक्षक बहाली में हजारों बाहरी उम्मीदवारों को नौकरी मिली, जबकि अब विपक्ष में रहकर वह डोमिसाइल की बात कर रहे हैं। वहीं, सम्राट चौधरी ने विपक्ष में रहते हुए डोमिसाइल नीति का समर्थन किया था, लेकिन सत्ता में आने के बाद इस मुद्दे पर मौन हैं।
छात्र संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने जल्द डोमिसाइल नीति लागू नहीं की, तो राज्यव्यापी आंदोलन, तालाबंदी, रेल रोको और अनिश्चितकालीन धरने की शुरुआत की जाएगी। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे छात्र नेताओं का कहना है कि यह सिर्फ नौकरी का नहीं, बल्कि न्याय, पहचान और अधिकार की लड़ाई है।
बिहार में डोमिसाइल नीति को लेकर उठता यह आंदोलन आगामी विधानसभा चुनावों में एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनता दिख रहा है। छात्र संगठनों का कहना है कि वे इस मसले को हर गांव, हर पंचायत तक लेकर जाएंगे और युवाओं की एकजुटता से सरकार को जवाब देंगे।
सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस आश्वासन नहीं आया है। लेकिन छात्रों का साफ कहना है कि अब वे पीछे हटने वाले नहीं हैं। आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक “बिहार की नौकरी, बिहार के बच्चों को” का नारा हकीकत में नहीं बदल जाता।