बिहार में वोटर लिस्ट सत्यापन प्रक्रिया: किन्हें देने होंगे दस्तावेज़, क्या है प्रक्रिया और बाहर रहने वाले मतदाता क्या करें? जानिए सब कुछ….

इंसाफ़ टाइम्स डेस्क

बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी के तहत चुनाव आयोग ने Special Intensive Revision (SIR) 2025 अभियान शुरू किया है। इस अभियान के अंतर्गत मतदाता सूची का विशेष सत्यापन किया जा रहा है, जिसमें फॉर्म भरना, दस्तावेज़ जमा करना और स्थानीय सत्यापन जैसे कई महत्वपूर्ण चरण शामिल हैं। लेकिन चुनाव आयोग की इस तैयारी के बीच बिहार के तमाम गांवों में मांगे गए दस्तावेज़ बनवाने के लिए लोग भाग-दौड़ कर रहे हैं। इस लेख के जरिए हम समझने की कोशिश करेंगे कि इस प्रक्रिया में क्या करना है, कौन से दस्तावेज़ मान्य हैं, अंतिम तारीख क्या है और जो लोग बिहार से बाहर हैं, वे क्या कदम उठाएं। जिनके पास कोई दस्तावेज़ नहीं हैं, वे क्या करें?

किन मतदाताओं को दस्तावेज़ देने हैं?

चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि 1 जनवरी 2003 से पहले मतदाता सूची में नाम जुड़वाने वालों को कोई अतिरिक्त दस्तावेज़ जमा करने की ज़रूरत नहीं है। लेकिन जिनका नाम 2003 के बाद जोड़ा गया है, उन्हें सूची में शामिल बने रहने के लिए आवश्यक दस्तावेज़ देने होंगे। ऐसे में सबसे ज़्यादा वही लोग परेशान हैं जिनका नाम 2003 की वोटर सूची में शामिल नहीं है। बिहार में ऐसे लोगों की संख्या करीब 2.93 करोड़ के आसपास है। उन्हें अपनी पहचान और पात्रता साबित करने के लिए नीचे दिए गए 11 दस्तावेज़ों में से कोई एक देना होगा।

ये 11 दस्तावेज़ ही मान्य हैं।

(1) केंद्र/राज्य सरकार या PSU के कर्मचारी का पहचान पत्र या पेंशन PPO

लेकिन बिहार जाति सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ 20.49 लाख लोग ही सरकारी सेवा में हैं, मतलब बिहार की कुल आबादी का सिर्फ 1.57% है।

(2) 1 जुलाई 1987 से पहले जारी कोई सरकारी/LIC/बैंक आदि द्वारा जारी पहचान पत्र

(3) जन्म प्रमाणपत्र

(4) पासपोर्ट
2023 तक बिहार में केवल 27.44 लाख वैध पासपोर्ट थे और यह बिहार की जनसंख्या का सिर्फ दो प्रतिशत है।

(5) मान्यता प्राप्त बोर्ड/विश्वविद्यालयों द्वारा जारी मैट्रिकुलेशन/शैक्षणिक प्रमाणपत्र

मैट्रिकुलेशन परीक्षा CBSE, ICSE और बिहार राज्य बोर्ड BSEB आयोजित करता है। बिहार जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में सिर्फ 14.71% लोग कक्षा दसवीं पास हैं और उन्होंने स्नातक किया है।

(6) स्थायी निवास प्रमाण पत्र (डोमिसाइल सर्टिफिकेट)

इससे पता चलता है कि आवेदक स्थायी निवासी है। इसके लिए आधार, राशन कार्ड, वोटर ID, मैट्रिक प्रमाणपत्र और एक हलफनामा देना होता है। फॉर्म को BDO या कार्यकारी मजिस्ट्रेट के पास जमा करना होगा। इसमें 15 दिन तक का समय लगता है, दस्तावेज़ के वेरिफिकेशन से प्रक्रिया में देरी हो सकती है। आजकल लोगों की शिकायत भी आ रही है कि उनके आवेदन को रद्द कर दिया जा रहा है।

(7) वन अधिकार प्रमाण पत्र

(8) जाति प्रमाणपत्र (SC/ST/OBC)

(9) राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (बिहार में यह लागू नहीं है)

(10) परिवारिक रजिस्टर (Family Register)

यह ग्राम पंचायत या स्थानीय निकाय द्वारा तैयार किया जाता है। इसमें परिवार के सभी लोगों की जानकारी होती है। अगर आपको फैमिली रजिस्टर में खुद का नाम दर्ज कराना है तो पंचायत या नगर निगम के कार्यालय में जाना होगा और इसके लिए आपको आधार, राशन कार्ड, बर्थ सर्टिफिकेट, मैरिज सर्टिफिकेट जैसा कोई दस्तावेज़ चाहिए। इसके बाद कोई संबंधित अधिकारी उस इलाके का दौरा करके वेरिफिकेशन करेगा और अगर सारे दस्तावेज़ सही हैं तो आपको रजिस्टर होने में 15 दिन या उससे ज़्यादा का वक्त लग सकता है।

(11) सरकार द्वारा जारी ज़मीन या मकान का आवंटन प्रमाण पत्र

बिहार में अधिकतर परिवारों के पास ज़मीन नहीं है। 2011 की सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना के अनुसार, 65.58% ग्रामीण परिवारों के पास कोई ज़मीन नहीं थी। यानी कि बिहार की एक बड़ी आबादी के पास ज़मीन से जुड़े दस्तावेज़ नहीं हैं। यही कारण है कि लोग परेशान हैं। क्योंकि इनमें सबसे अहम बात यह है कि चुनाव आयोग ने मान्य दस्तावेज़ों में आधार कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस और राशन कार्ड जैसे सामान्य दस्तावेज़ों को शामिल नहीं किया है।

*प्रक्रिया की समयसीमा और अहम तारीखें।

फॉर्म वितरण और जमा की अंतिम तारीख: 25 से 26 जुलाई 2025
ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी: 1 अगस्त 2025
दावा-आपत्ति की अवधि: 1 अगस्त से 1 सितंबर 2025
फिजिकल वेरिफिकेशन: 1 से 25 सितंबर 2025
अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित: 30 सितंबर 2025 तक

जिनके पास दस्तावेज़ नहीं हैं, वो क्या करें?

अब जिन मतदाताओं के पास आयोग द्वारा मांगे गए आवश्यक 11 दस्तावेज़ों में से एक भी उपलब्ध नहीं है, वे भी अपना फॉर्म भरकर बिना फोटो और दस्तावेज़ लगाए BLO को दे सकते हैं। यह जानकारी बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (CEO) के हवाले से जारी किए गए एक सरकारी पोस्टर में दी गई है। पोस्टर के मुताबिक यदि किसी मतदाता के पास आवश्यक दस्तावेज़ और फोटो नहीं है, तब भी वह गणना प्रपत्र (Enumeration Form) भरकर BLO को दे सकता है। अगर दस्तावेज़ जमा किए जाते हैं तो निर्वाचक निबंधक पदाधिकारी (ERO) आसानी से आवेदन की जांच कर पाएंगे और यदि दस्तावेज़ जमा नहीं किए जाते हैं तो ERO स्थानीय स्तर पर जांच कर फैसला करेंगे!

कैसे होगी स्थानीय जांच?

निर्वाचन आयोग के सूत्रों के अनुसार दस्तावेज़ जमा न करने की स्थिति में ERO स्पॉट पर जाकर मतदाताओं से मुलाकात करेंगे। वे यह सुनिश्चित करेंगे कि:

फॉर्म भरने वाले की उम्र 18 साल या उससे अधिक हो,

वह स्थायी रूप से उस क्षेत्र में निवास करता है,

स्थानीय लोगों से बातचीत कर उसकी पहचान और स्थायित्व की पुष्टि हो।

यह जांच उपलब्ध साक्ष्यों और अन्य प्रमाणों के आधार पर की जाएगी और फिर ERO यह तय करेगा कि मतदाता का नाम सूची में शामिल किया जाए या नहीं। हालांकि आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि दस्तावेज़ों से पूरी तरह छूट नहीं दी गई है। यह केवल सुविधा के लिए एक अस्थायी राहत है। यानी मतदाता पहले फॉर्म दे सकते हैं, लेकिन उन्हें बाद में दस्तावेज़ भी देने होंगे। CEO बिहार के अनुसार“मौजूदा मतदाताओं को दस्तावेज़ीकरण पूरा करने में सुविधा देने के लिए सभी उपाय किए जा रहे हैं। पहले फॉर्म जमा करें और बाद में दस्तावेज़ दें। सारी गतिविधियां चुनाव आयोग के 24 जून 2025 के आदेश के अनुसार चल रही हैं।”

चुनाव आयोग के अनुसार 1 अगस्त 2025 को जो मसौदा मतदाता सूची (Draft Electoral Roll) जारी की जाएगी, उसमें सिर्फ उन्हीं मतदाताओं के नाम होंगे, जिनके फॉर्म समय पर प्राप्त हो चुके होंगे। यानी आपके देर से भी हर हाल में जरूरी दस्तावेज देने ही होंगें, तभी आप मतदाता सूची में शामिल बने रह सकते हैं।

जो लोग बिहार से बाहर हैं, वो क्या करें?

काम, पढ़ाई या अन्य कारणों से बिहार से बाहर रहने वाले लोग भी इस प्रक्रिया में भाग ले सकते हैं. उन्हें 26 जुलाई तक ऑनलाइन फॉर्म भरकर दस्तावेज अपलोड करने होंगे, वरना उनका भी नाम मतदाता सूची से हटाया जा सकता है.

ऑनलाइन फॉर्म भरें: https://voters.eci.gov.in वेबसाइट पर जाकर फॉर्म डाउनलोड और ऑनलाइन जमा करें।

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