इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
बिहार में महिलाओं के लिए चलाए जा रहे कांग्रेस के ‘प्रियदर्शिनी उड़ान योजना’ के तहत वितरित किए गए सेनेटरी पैड की पैकिंग पर राहुल गांधी की तस्वीर के साथ एक एडिटेड और आपत्तिजनक फोटो वायरल होने के बाद देशभर में सियासी बवाल मच गया है। इस तस्वीर को लेकर ओड़िशा, कर्नाटक और तेलंगाना सहित कई राज्यों में कांग्रेस नेताओं ने FIR दर्ज कराई है।
कांग्रेस का आरोप है कि कुछ असामाजिक तत्वों ने राहुल गांधी की छवि को जानबूझकर नुकसान पहुंचाने के इरादे से फोटोशॉप कर एक अश्लील चित्र सोशल मीडिया पर फैलाया, जिसमें उनकी तस्वीर को एक खुले सेनेटरी पैड पर चस्पा किया गया था। यह तस्वीर ‘प्रियदर्शिनी उड़ान योजना’ से जोड़कर प्रचारित की गई, जबकि कांग्रेस का कहना है कि वायरल हो रही छवि पूरी तरह फर्जी और भ्रामक है।
ओड़िशा की कांग्रेस विधायक सोफिया फिरदौस ने भुवनेश्वर के साइबर थाने में इस मामले को लेकर शिकायत दर्ज कराई है। विधायक ने कहा कि “यह सिर्फ राहुल गांधी की छवि को खराब करने का षड्यंत्र नहीं है, बल्कि महिलाओं के स्वास्थ्य और गरिमा पर भी हमला है। यह महिला विरोधी मानसिकता को दर्शाता है।”
वहीं कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता अलका लांबा ने कहा कि पार्टी इस तरह की ओछी राजनीति से डरने वाली नहीं है। उन्होंने कहा “बिहार की लाखों बेटियाँ आज भी मासिक धर्म के दौरान असुरक्षित तरीकों का इस्तेमाल कर रही हैं। कांग्रेस का अभियान उनके स्वास्थ्य और सम्मान की रक्षा के लिए है। जो लोग इस अभियान का मज़ाक बना रहे हैं, वे समाज की सच्चाई से भाग रहे हैं।”
दूसरी ओर भाजपा ने इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है। पार्टी प्रवक्ता सादिनेनी यामिनी शर्मा ने बयान जारी करते हुए कहा कि “सेनेटरी पैड पर नेता की तस्वीर लगाना न सिर्फ महिला गरिमा का अपमान है, बल्कि यह कांग्रेस की सोच को भी उजागर करता है।” उन्होंने इसे “राजनीति की गिरावट” बताया।
फिलहाल, इस मामले को लेकर बेंगलुरु और हैदराबाद में भी FIR दर्ज की गई है। साइबर सेल ने जांच शुरू कर दी है और फर्जी तस्वीर के स्रोत की पहचान की जा रही है। पुलिस ने कहा है कि जल्द ही दोषियों पर आईटी एक्ट और अन्य संबंधित धाराओं के तहत कार्रवाई की जाएगी।
यह विवाद न केवल राजनीतिक हलकों में गरमाया हुआ है, बल्कि महिला संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के बीच भी चर्चा का विषय बन गया है। जहां एक ओर यह महिला स्वास्थ्य जैसे गंभीर विषय की ओर ध्यान आकर्षित कर रहा है, वहीं दूसरी ओर यह दिखा रहा है कि चुनावी मौसम में व्यक्तिगत हमले और भ्रामक प्रचार किस हद तक पहुंच सकते हैं।