इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
सेंट्रल इन्फॉर्मेशन कमीशन (CIC) में आठ सूचना आयुक्तों के पद लंबे समय से रिक्त पड़े हैं, जिससे लगभग 23,000 अपीलें लंबित हैं और सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI Act) गंभीर संकट में है। सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) ने इस स्थिति पर गहरी नाराज़गी जताते हुए केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि यह देरी सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि आरटीआई कानून को निष्क्रिय करने की एक सुनियोजित कोशिश है।
पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एडवोकेट शरीफ़ुद्दीन अहमद ने एक प्रेस बयान जारी करते हुए कहा कि RTI कानून, जो भारत में लोकतांत्रिक पारदर्शिता की रीढ़ है, को जानबूझकर कमजोर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि “CIC में 10 में से केवल दो आयुक्त कार्यरत हैं, और केंद्र सरकार एक वर्ष पूर्व आमंत्रित किए गए आवेदनों के बावजूद अब तक रिक्त पद नहीं भर सकी है।”
SDPI नेता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 2019 और हाल में 2025 में भी स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सूचना आयोगों में नियुक्तियों की प्रक्रिया समयबद्ध और पारदर्शी होनी चाहिए। इसके बावजूद केंद्र सरकार नियुक्ति प्रक्रिया की न तो कोई समयसीमा घोषित कर रही है और न ही चयन से संबंधित जानकारी सार्वजनिक कर रही है। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्वायत्तता पर सीधा हमला करार दिया।
उन्होंने यह भी कहा कि दिसंबर 2025 में वर्तमान मुख्य सूचना आयुक्त के सेवानिवृत्त हो जाने के बाद यदि रिक्तियों को नहीं भरा गया तो CIC लगभग निष्क्रिय हो जाएगा। “यह न सिर्फ नागरिकों के सूचना के अधिकार पर हमला है, बल्कि पारदर्शिता और जवाबदेही जैसे संवैधानिक मूल्यों को भी चोट पहुंचाने वाला कृत्य है,”
पार्टी ने इस मुद्दे पर देशभर के RTI कार्यकर्ताओं और नागरिक संगठनों के साथ एकजुटता जताई है।
SDPI ने केंद्र सरकार से तीन प्रमुख मांगें रखी हैं: जिसमें कहा गया कि सभी रिक्त पदों पर तत्काल नियुक्ति की जाए। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पूर्ण पालन सुनिश्चित किया जाए। चयन प्रक्रिया को पारदर्शी और विपक्ष की भागीदारी के साथ संचालित किया जाए।
ज्ञात हो कि वर्ष 2005 में लागू हुए सूचना का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत आम नागरिक किसी भी सार्वजनिक प्राधिकरण से जानकारी मांग सकते हैं। CIC इस कानून के तहत अंतिम अपील का मंच है, जो सूचना न मिलने की स्थिति में नागरिकों को राहत प्रदान करता है। लेकिन आयुक्तों की कमी के कारण अब हजारों नागरिकों की अपीलें लंबित पड़ी हैं, और न्याय प्रक्रिया गंभीर रूप से प्रभावित हो रही है।
डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग (DoPT) ने अगस्त 2024 में नियुक्तियों के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे, जिनकी संख्या 161 बताई जा रही है, लेकिन अब तक चयन प्रक्रिया के संबंध में कोई सार्वजनिक जानकारी साझा नहीं की गई है। इससे यह संदेह और गहराया है कि सरकार आरटीआई कानून को प्रभावहीन बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है।
SDPI ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द नियुक्तियाँ नहीं की गईं, तो वह इस मुद्दे को व्यापक जन आंदोलन का विषय बनाएगी।