इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
राज्य भर में 9 जुलाई को प्रस्तावित बिहार बंद को अब एक व्यापक जन आंदोलन का स्वरूप मिलता जा रहा है। मतदाता सूची पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR 2025) प्रक्रिया में व्यापक अनियमितताओं के आरोपों के खिलाफ आयोजित इस बंद को जहां एक ओर इमारते शरीया और प्रमुख मुस्लिम सामाजिक-धार्मिक संगठनों का खुला समर्थन मिला है, वहीं दूसरी ओर देश और बिहार के शीर्ष विपक्षी नेता भी सड़क पर उतरने को तैयार हैं।
देश के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव 9 जुलाई को पटना में चक्का जाम का नेतृत्व करेंगे। उनके साथ राष्ट्रीय जनता दल (RJD), कांग्रेस, वामपंथी दल (CPI, CPI-M, CPI-ML), वीआईपी, रालोजपा, एआईएमआईएम, एसडीपीआई समेत सभी विपक्षी दलों के कार्यकर्ता और नेता पूरे राज्य में इस बंद को लीड करेंगे और इसे सफल बनाएंगे।
इमारते शरीया ने अपने प्रेस बयान में कहा है कि यह बंद किसी दल विशेष की राजनीति से जुड़ा हुआ नहीं है, बल्कि संविधान, लोकतंत्र और मतदाता अधिकारों की रक्षा के लिए एक सामूहिक, शांतिपूर्ण और संवैधानिक पहल है।
बयान में कहा गया है कि SIR-2025 की प्रक्रिया में लाखों पात्र नागरिकों को वोटर लिस्ट से हटाए जाने की आशंका है, जो सीधे-सीधे संविधान की धारा 14 (समानता), 15 (भेदभाव से मुक्ति), 21 (जीवन व गरिमा का अधिकार) और 326 (मतदान का अधिकार) का उल्लंघन है।
बंद के समर्थन में सामने आए संगठनों में इमारते शरीया (बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल),जमीयत उलेमा-ए-हिंद (अलिफ और मेम),इदारा-ए-शरीया, इमारते अहले हदीस (सादिकपुर),मजलिस-ए-उलमा व खुतबा इमामिया (अहले तशय्यु),ऑल इंडिया मोमिन कॉन्फ्रेंस,ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मशावरत शामिल हैं
इन संगठनों ने सभी नागरिकों से अपील की है कि वे 9 जुलाई को अपने घरों में रहें, दुकानों को बंद रखें और शांतिपूर्ण ढंग से इस आंदोलन में सहभागिता करें।
संयुक्त बयान में कहा गया है “हर नागरिक की पहचान ज़रूरी है, हर वोट का सम्मान अनिवार्य है। बिहार खामोश नहीं बैठेगा, संविधान के उल्लंघन पर आवाज़ उठाएगा।”
अब जब राहुल गांधी और तेजस्वी यादव जैसे राष्ट्रीय व क्षेत्रीय नेता पटना की सड़कों पर उतरेंगे, और सभी विपक्षी दल एकजुटता के साथ बंद को सफल बनाएंगे, तब यह दिन न केवल बिहार बल्कि देश के लोकतंत्र व पुनरीक्षण मामले के लिए एक निर्णायक मोड़ बन सकता है।