इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने बुधवार को तिरुचिरापल्ली स्थित जमाल मोहम्मद कॉलेज के प्लेटिनम जुबिली समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि देश को जोड़ने वाली विचारधाराओं को अपनाया जाना चाहिए, न कि विभाजन फैलाने वाली सोच को।
मुख्यमंत्री ने छात्रों से आह्वान किया कि वे महात्मा गांधी, डॉ. भीमराव अंबेडकर और पेरियार के मूल्यों को अपनाएं और नथूराम गोडसे जैसी विभाजनकारी विचारधारा को पूरी तरह अस्वीकार करें। उन्होंने कहा कि छात्र राजनीति से दूर नहीं रहें, बल्कि राजनीति को समझें और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों की रक्षा करें। “छात्रों को गोडसे की राह पर नहीं, बल्कि गांधी, अंबेडकर और पेरियार के सिद्धांतों पर चलना चाहिए”। “राजनीति को समझना जरूरी है, क्योंकि जब तमिलनाडु एकजुट रहता है, तब उसे कोई ताकत नहीं हिला सकती”।
मुख्यमंत्री स्टालिन ने कॉलेज के संस्थापकों एन. एम. खाजामियन रोथर और एम. जमाल मोहम्मद साहब की सामाजिक सेवाओं और गांधीवादी योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि एक ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान खादी मिल चलाकर गरीबों में वस्त्र वितरित किए, तो दूसरे ने गांधीजी के साथ राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस में भाग लिया।
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं का उल्लेख करते हुए बताया कि “सरकार 20 लाख छात्रों को मुफ्त लैपटॉप वितरित कर रही है। ‘नान मुदलवन’ योजना के तहत युवाओं को तकनीकी और व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जा रहा है। गरीब और पिछड़े वर्ग की छात्राओं को ₹1,000 मासिक छात्रवृत्ति दी जा रही है।”
उन्होंने यह भी कहा कि ओरानीयिल तमिलनाडु अभियान के जरिए गांव-गांव में सामाजिक एकता का संदेश फैलाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने जमाल मोहम्मद कॉलेज को तमिलनाडु के बहुलतावादी, समावेशी और प्रगतिशील शिक्षा तंत्र का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बताया। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार के दो मंत्री — के. एन. नेहरू और एम. आर. के. पन्नीरसेल्वम — इसी कॉलेज से पढ़े हैं, जो संस्थान की गुणवत्ता का परिचायक है।
मुख्यमंत्री स्टालिन का भाषण ऐसे समय में आया है जब देश भर में विचारधारा आधारित ध्रुवीकरण की चर्चाएं हो रही हैं। उनका संदेश स्पष्ट था — भारत को जोड़ने वाली शक्तियां ही उसकी असली पहचान हैं। युवा पीढ़ी को उन नेताओं की राह पर चलना होगा जिन्होंने समानता, भाईचारे और न्याय की नींव रखी।