इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को उस समय बड़ा झटका लगा जब केरल के कोच्चि स्थित विशेष एनआईए अदालत ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) से कथित रूप से जुड़ी 10 संपत्तियों की जब्ती को अवैध ठहराते हुए रद्द कर दिया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि संपत्तियों और आतंकी गतिविधियों के बीच सीधा और ठोस संबंध साबित नहीं किया जा सका।
यह फैसला विभिन्न ट्रस्टों और संपत्ति मालिकों द्वारा दाखिल अपीलों की सुनवाई के बाद सुनाया गया। कोर्ट ने माना कि NIA जब्ती प्रक्रिया के दौरान वैधानिक प्रावधानों और सबूतों की कसौटी पर खरी नहीं उतर सकी।
जिन संपत्तियों की जब्ती रद्द की गई है, उनमें मलप्पुरम की ग्रीन वैली फाउंडेशन द्वारा स्वामित्व वाली लगभग 10.27 हेक्टेयर भूमि और एक भवन प्रमुख है। इसके अलावा, अलप्पुझा स्थित Alleppey Social Cultural Education Trust, करुनगप्पल्ली की Karunya Foundation, पांडलम की एक शैक्षणिक ट्रस्ट, और कोझिकोड़े, पट्टंबी, अलुवा समेत कई अन्य स्थानों की संपत्तियाँ भी शामिल हैं।
एनआईए ने अदालत में दावा किया था कि ये संपत्तियाँ प्रतिबंधित संगठन PFI की राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में प्रयुक्त होती थीं—जिनमें हिंसक प्रशिक्षण, गुप्त बैठकें और चरमपंथी एजेंडा फैलाना शामिल था। लेकिन अदालत ने पाया कि संपत्ति और कथित आपराधिक गतिविधियों के बीच कोई प्रत्यक्ष लिंक नहीं पेश किया गया।
अदालत ने यह भी रेखांकित किया कि कुछ ट्रस्टों का गठन PFI के अस्तित्व में आने से पहले हुआ था और जिन पदाधिकारियों को संदिग्ध बताया गया, वे अब संगठन से जुड़े नहीं हैं।
विशेष अदालत ने आदेश में कहा, “जांच एजेंसी द्वारा संपत्तियों की जब्ती प्रक्रिया में न्यायिक मानकों और आवश्यक कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। जब्ती जैसी गंभीर कार्रवाई के लिए केवल संदेह पर्याप्त नहीं है, ठोस प्रमाण जरूरी है।”
हालांकि अदालत ने जब्ती रद्द कर दी, लेकिन NIA को आगे की जांच और नए सिरे से कार्रवाई की छूट भी दी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि एजेंसी के पास पुख्ता सबूत हों, तो वह दोबारा कानूनी प्रक्रिया अपनाकर जब्ती की मांग कर सकती है।
इस फैसले को विशेषज्ञों द्वारा एक महत्वपूर्ण न्यायिक संकेत के रूप में देखा जा रहा है कि आतंकवाद या राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के नाम पर की गई हर प्रशासनिक कार्रवाई, न्यायिक जांच के दायरे में आ सकती है।
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला सुरक्षा एजेंसियों के लिए चेतावनी है कि वे कठोर कानूनों के तहत कार्यवाही करते समय साक्ष्य आधारित और निष्पक्ष प्रक्रिया को अपनाएं।