इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
जम्मू-कश्मीर में नायब तहसीलदार पद की भर्ती प्रक्रिया में उर्दू भाषा को अनिवार्य बनाए जाने के खिलाफ शनिवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के कार्यकर्ताओं ने जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री ओमर अब्दुल्ला के आधिकारिक आवास के बाहर नारेबाज़ी करते हुए इस फैसले को “क्षेत्रीय भेदभाव” और “जम्मू के युवाओं के साथ अन्याय” करार दिया।
पुलिस द्वारा रोके जाने के बावजूद प्रदर्शनकारी मुख्यमंत्री आवास के बाहर पहुँच गए। हालांकि विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा और बाद में छात्र शांतिपूर्वक तितर-बितर हो गए।
जम्मू-कश्मीर सेवा चयन बोर्ड (JKSSB) ने बीते माह 75 नायब तहसीलदार पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था। इसमें आवेदन की पात्रता शर्तों में “उर्दू का कार्यज्ञान” अनिवार्य बताया गया। इस शर्त को लेकर जम्मू क्षेत्र में विरोध तेज हो गया है, जहां उर्दू आम बोलचाल की भाषा नहीं है।
ABVP नेताओं ने कहा कि यह फैसला जम्मू के गैर-उर्दू भाषी युवाओं को नौकरी से बाहर रखने की साज़िश है। एक प्रवक्ता ने कहा, “यह दूसरी बार है जब हम सड़कों पर हैं। यदि सरकार ने फैसला वापस नहीं लिया तो हम आंदोलन तेज करेंगे।”
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी इस फैसले का विरोध किया है। पार्टी नेताओं ने उपराज्यपाल को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि भर्ती प्रक्रिया में भाषा के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। भाजपा नेता यादववीर सेठी ने कहा, “जब तक सभी उम्मीदवारों को समान अवसर नहीं मिलेगा, तब तक हम यह नहीं मान सकते कि यह भर्ती प्रक्रिया निष्पक्ष है।”
विवाद बढ़ने के बाद केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) ने मामले में सुनवाई करते हुए जम्मू-कश्मीर सरकार से जवाब तलब किया है। कोर्ट ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया में भाषाई शर्तों को लेकर पारदर्शिता आवश्यक है और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि कोई क्षेत्रीय पक्षपात न हो।