इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
बिहार सरकार ने पंचायती राज व्यवस्था को मज़बूत करने और गांवों में विकास योजनाओं के प्रभावी संचालन के लिए बड़ा कदम उठाया है। राज्य के पंचायती राज विभाग ने ग्राम पंचायतों में 8,298 निम्नवर्गीय लिपिकों (LDC) की बहाली की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह बहाली बिहार कर्मचारी चयन आयोग (BSSC) के माध्यम से की जाएगी।
सरकार की मंशा है कि हर पंचायत में प्रशासनिक कार्यों को तेजी से निपटाया जाए और योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता लाई जाए। इससे पंचायत सचिवों पर कार्यभार भी कम होगा और विकास की गति बढ़ेगी।
बहाली के लिए आयोग को सभी ज़िलों से रोस्टर क्लियरेंस मिल चुका है और विभाग की ओर से औपचारिक प्रस्ताव भेजा गया है। आयोग अब भर्ती प्रक्रिया को अंतिम रूप देने में जुटा है। संभावित तौर पर अगस्त 2025 में आवेदन प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।
पात्रता
न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता इंटरमीडिएट
कंप्यूटर टाइपिंग का ज्ञान अनिवार्य
चयन प्रक्रिया में लिखित परीक्षा, टाइपिंग टेस्ट और दस्तावेज़ सत्यापन शामिल होगा
इन लिपिकों की नियुक्ति से ग्राम पंचायतों में निम्न कार्यों में दक्षता और पारदर्शिता लाई जाएगी
विकास योजनाओं का दस्तावेज़ीकरण और रिपोर्टिंग
वित्तीय लेनदेन और रिकॉर्ड का संधारण
जन शिकायतों का पंजीकरण और समाधान
मुख्यमंत्री गली-नाली योजना, जल-जीवन-हरियाली, शौचालय निर्माण, आवास योजना जैसे कार्यों की निगरानी
डिजिटल पोर्टल पर डेटा एंट्री और MIS रिपोर्ट तैयार करना
बिहार में बेरोज़गार युवाओं के लिए यह एक बड़ा अवसर माना जा रहा है। ग्रामीण इलाकों के हज़ारों युवक-युवतियाँ इस बहाली के माध्यम से सरकारी सेवा से जुड़ सकेंगे। इससे राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था और रोजगार दर को भी बल मिलेगा।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बार-बार यह दोहराया है कि पंचायतें लोकतंत्र की जड़ हैं। सरकार का उद्देश्य है कि गांवों में शासन सुलभ, पारदर्शी और जवाबदेह हो। लिपिकों की बहाली इसी दिशा में एक निर्णायक पहल मानी जा रही है।
बिहार सरकार की यह पहल पंचायतों को न केवल प्रशासनिक रूप से सशक्त बनाएगी, बल्कि ग्रामीण भारत के सबसे बड़े राज्य में शासन की पहुंच को जन-जन तक ले जाएगी। यह बहाली एक साथ रोजगार, शासन और विकास – तीनों मोर्चों पर असर डालेगी।