इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत ने प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से कथित रूप से जुड़ी छह संपत्तियों और एक बैंक खाते की कुर्की आदेश रद्द कर दिए हैं। अदालत ने यह फैसला इस महीने छह अलग-अलग मामलों में सुनाया।
जिन संपत्तियों की कुर्की रद्द की गई है, वे त्रिवेंद्रम एजुकेशन ट्रस्ट, हरीथम फाउंडेशन पूवांचिरा, पेरियार वैली चैरिटेबल ट्रस्ट (अलुवा), वल्लवुनाड ट्रस्ट (पलक्कड़), चंद्रगिरि चैरिटेबल ट्रस्ट (कासरगोड) और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (नई दिल्ली) के नाम पर थीं। एनआईए ने इन पर 2023 में कुर्की की कार्रवाई की थी।
एनआईए का आरोप था कि पेरियार वैली परिसर और वल्लवुनाड हाउस का इस्तेमाल पीएफआई कार्यकर्ताओं को शारीरिक और हथियार प्रशिक्षण देने तथा उन्हें आश्रय देने के लिए किया गया। हालांकि, अदालत ने पाया कि इन ट्रस्टों या उनके पदाधिकारियों की प्रत्यक्ष संलिप्तता साबित नहीं हो सकी। इसी आधार पर कुर्की रद्द करने का आदेश दिया गया।
इससे पहले जून 2025 में भी अदालत ने पीएफआई से कथित रूप से जुड़े 10 अन्य संपत्तियों की कुर्की रद्द कर दी थी। ये संपत्तियाँ मलप्पुरम, अलाप्पुझा, कोल्लम, त्रिशूर, वायनाड, कोझिकोड, पथनमथिट्टा, पलक्कड़ और एर्नाकुलम जिलों में स्थित थीं।
एनआईए अब तक इस मामले में 63 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। वहीं, ट्रस्टों और व्यक्तियों ने अदालत में दलील दी थी कि उनका पीएफआई से कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं है और वे केवल संस्थागत व सामाजिक कार्यों से जुड़े हैं।
आवेदकों की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता पी.सी. नुशाद ने कहा कि अब तक कुल 17 संपत्तियों और एक बैंक खाते की कुर्की आदेश रद्द किए जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि दिल्ली स्थित एसडीपीआई के खाते से एक आरोपी को पैसा ट्रांसफर होने के आधार पर कुर्की की गई थी, जबकि वह भुगतान उसके मासिक वेतन के रूप में था।
अदालत ने कहा कि जब तक प्रत्यक्ष और ठोस सबूत सामने नहीं आते, संपत्तियों को जब्त रखना उचित नहीं है। फैसले के बाद संबंधित ट्रस्टों और मालिकों ने संपत्तियों की वापसी के लिए प्रशासनिक प्रक्रिया शुरू कर दी है।