
इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के कैंपस में 25 दिसंबर को आयोजित मनुस्मृति दहन दिवस के दौरान भगत सिंह स्टूडेंट्स मोर्चा संगठन के 13 छात्र-छात्राओं को मनुस्मृति दहन के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। जिनमें तीन छात्राएं भी शामिल थीं। पुलिस ने इन छात्रों पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 132, 121(2), 196(1)(b), 299, 110, 191(1) और 115(2) जैसी गंभीर धाराओं के तहत मामले दर्ज किए थे। गिरफ्तार हुए छात्रों में 9 वर्तमान में विश्वविद्यालय के छात्र हैं, जबकि 4 पूर्व में विश्वविद्यालय के छात्र रहे हैं। हालांकि 17 दिन बाद अदालत ने इन सभी छात्रों को जमानत दे दी। लेकिन रिहाई के बाद छात्रों ने ये आरोप लगाया कि यह गिरफ्तारी और मुक़दमा उनके करियर को बर्बाद करने की साज़िश थी। वे हार नहीं मानने वाले हैं और इस मामले में कानूनी लड़ाई लड़ेंगे।
घटना की पृष्ठभूमि
25 दिसंबर को भगत सिंह स्टूडेंट्स मोर्चा द्वारा बीएचयू में मनुस्मृति दहन दिवस के अवसर पर यूनिवर्सिटी ऑफ आर्ट्स फैकल्टी के पास चर्चा का आयोजन किया गया था। इस दिन का महत्व इस तथ्य में है कि डॉ. भीमराव अंबेडकर ने 1927 में इसी दिन मनुस्मृति को जलाया था। भगत सिंह स्टूडेंट्स मोर्चा के सदस्य का कहना है कि इस विषय पर चर्चा के लिए वे सभी एकत्र हुए थे। चर्चा के दौरान बीएचयू के प्रॉक्टोरियल बोर्ड के गार्ड वहां पहुंचे और छात्रों के साथ दुर्व्यवहार किया और उन्हें खींचते हुए प्रॉक्टोरियल बोर्ड कार्यालय ले गए। छात्रों को वहां शाम करीब 7:30 बजे कमरे में बंद कर दिया गया। इसके बाद 26 दिसंबर 2024 को भगत सिंह स्टूडेंट्स मोर्चा के 13 सदस्यों के खिलाफ गंभीर धाराओं के तहत मुक़दमे दर्ज किए गए, फिर उन्हें गिरफ्तार कर 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
इस घटनाक्रम के दौरान छात्रों के साथ मारपीट की गई। उनके कपड़े फाड़े गए, यहाँ तक कि प्रॉक्टोरियल टीम ने छात्रों के चश्मे भी तोड़ दिए। जो छात्र बीच-बचाव के लिए आ रहे थे, उनके साथ भी धक्का-मुक्की की गई। इसके साथ पुलिस और यूनिवर्सिटी प्रॉक्टोरियल टीम बच्चों के भविष्य बर्बाद करने की धमकियाँ भी दे रहे थे। इनके अलावा छात्रों का आरोप है कि पुलिस और प्रॉक्टोरियल बोर्ड के सदस्यों ने गिरफ्तार छात्रों की पिटाई की। उन्हें रात भर लंका थाने में बंद रखकर उनके वकीलों से मिलने तक नहीं दिया गया था।
गैरकानूनी तरीके से गिरफ्तारी का आरोप
रिहाई के बाद भगत सिंह स्टूडेंट्स मोर्चा के बैनर तले छात्रों ने मैदागिन स्थित पराड़ाकर भवन में प्रेस का आयोजन किया। इस कार्यक्रम के दौरान अधिवक्ता प्रेम प्रकाश सिंह यादव ने पूर्व में हुए छात्रों की गिरफ्तारियों की आलोचना करते हुए कहा कि छात्रों की हिरासत पूरी तरह से गैरकानूनी थी। आगे प्रेम प्रकाश सिंह यादव ने आरोप लगाया कि उनकी हिरासत में सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों और मौलिक मानवाधिकारों का उल्लंघन किया गया है। पुलिस द्वारा 25 दिसंबर की शाम को तीन छात्राओं को गिरफ्तार किया गया था, जबकि प्राथमिकी में गिरफ्तारी की तारीख 26 दिसंबर बताई गई थी। उन्होंने आश्वासन दिया कि गिरफ्तारी में शामिल अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
17 दिन बाद मिली छात्रों को ज़मानत
भगत सिंह स्टूडेंट्स मोर्चा के छात्रों ने कहा कि बिना किसी ठोस सबूत के हम सभी को जेल भेज दिया गया। हमें निशाना इसलिए बनाया गया क्योंकि हम सभी मनुस्मृति दहन दिवस पर चर्चा कर रहे थे। आपको बता दें कि सभी छात्रों पर मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने 26 दिसंबर को उन्हें जेल भेज दिया था। हालांकि रिहाई के बाद छात्रों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके आरोप लगाया कि तीन छात्रों की गिरफ्तारी 25 दिसंबर को ही हो गई थी। लेकिन पुलिस ने मुकदमा 26 दिसंबर को पंजीकृत किया। इस मामले में सभी छात्रों को 11 जनवरी को कोर्ट से ज़मानत मिली थी।
भगत सिंह स्टूडेंट्स मोर्चा की अध्यक्ष आकांक्षा आज़ाद ने दिया संघर्ष का हवाला
भगत सिंह स्टूडेंट्स मोर्चा संगठन की अध्यक्ष आकांक्षा आज़ाद ने कहा कि यह संगठन पिछले 10 सालों से बीएचयू में लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए और बीएचयू प्रशासन की गलत नीतियों के खिलाफ लड़ता-बोलता रहा है। पिछले साल जब आईआईटी बीएचयू में एक छात्रा के साथ हुए गैंगरेप के आरोपियों को विश्वविद्यालय और जिला प्रशासन संरक्षण दे रहा था, तब भी प्रशासन के इस रवैये के खिलाफ और पीड़िता के न्याय के लिए मुखर होकर भगत सिंह स्टूडेंट्स मोर्चा ने संघर्ष किया था। जिसके वज़ह से तीनों दोषियों की गिरफ्तारी संभव हो पाई थी। वर्ना प्रशासन का रवैया तो गैंगरेप के दोषियों को बचाने का था। इस बदला लेने की भावना से की गई गिरफ्तारी की एक वजह यह भी थी।
भगत सिंह स्टूडेंट्स मोर्चा के छात्र जिनकी गिरफ्तारी हुई थी
- मुकेश कुमार, बीए ऑनर्स, उम्र 19 वर्ष
- संदीप जायसवार, बीए ऑनर्स, उम्र 27 वर्ष
- अमर शर्मा, बीए ऑनर्स, उम्र 20 वर्ष
- अरविन्द पाल, एमए हिन्दी, उम्र 25 वर्ष
- अनुपम कुमार, शोध दर्शन शास्त्र, उम्र 29 वर्ष
- लक्ष्मण कुमार, बीए ऑनर्स कला संकाय, उम्र 21 वर्ष
- अविनाश, उम्र 24 वर्ष
- अरविन्द, उम्र 23 वर्ष
- शुभम कुमार, उम्र 21 वर्ष
- आदर्श, उम्र 22 वर्ष
- इप्सिता अग्रवाल, एमएससी मनोविज्ञान
- सिद्दी तिवारी
- कात्यायनी बी. रेड्डी