
इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
30 जनवरी 1948 का दिन भारतीय इतिहास में दुखद और काले अध्याय के रूप में दर्ज है। इस दिन, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर हत्या कर दी। गांधी जी, जिन्होंने अहिंसा के मार्ग पर चलकर अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर किया, वे खुद हिंसा का शिकार हो गए। यह घटना दिल्ली के बिरला हाउस में शाम की प्रार्थना सभा के दौरान हुई, जब गोडसे ने गांधी जी पर तीन गोलियां चलाईं।
*घटना का विवरण
उस दिन गांधी जी अपनी दिनचर्या के अनुसार सुबह 3:30 बजे उठे, प्रार्थना की और नाश्ते के बाद अपने काम में व्यस्त हो गए। शाम को प्रार्थना सभा के लिए जाते समय, गोडसे ने उन्हें बेहद करीब से गोली मारी। गांधी जी जमीन पर गिर गए और “हे राम” कहते हुए उन्होंने अंतिम सांस ली। उनकी भतीजी मनु ने उस समय घड़ी देखी, जिसमें शाम के 5:17 बज रहे थे।
*हत्या की पृष्ठभूमि
गांधी जी की हत्या से पहले भी उन पर जानलेवा हमले हो चुके थे। 20 जनवरी 1948 को एक हमला हुआ था, लेकिन वे बच गए थे। इसके बाद, गांधी जी ने कई बार अपनी मृत्यु का पूर्वाभास जताया था। 21 जनवरी को उन्होंने कहा था, “अगर कोई मुझ पर बहुत पास से गोली चलाता है और मैं मुस्कुराते हुए दिल में राम नाम लेते हुए उन गोलियों का सामना करता हूं, तो मैं बधाई का हकदार हूं।”
29 जनवरी को, उनकी मृत्यु से एक दिन पहले, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और अन्य लोग उनसे मिलने बिरला हाउस गए थे। उस दिन गांधी जी ने राजीव के साथ एक मार्मिक बातचीत की थी। जब राजीव ने उनके पैरों में चमेली के फूल लगाए, तो गांधी जी ने कहा, “ऐसा मत करो। केवल मृत व्यक्ति के पैरों में फूल लगाए जाते हैं
*हत्यारे की तैयारी
हिंदुत्वादी चरमपंथी संगठनों से जुड़े नाथूराम गोडसे, नारायण आप्टे और विष्णु करकरे ने गांधी जी की हत्या की साजिश रची थी। वे पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के वेटिंग रूम नंबर 6 में इकट्ठा हुए थे। गोडसे ने अपनी बेरेटा पिस्तौल में सात गोलियां भरीं और स्लेटी रंग का सूट पहना। उसने बिरला हाउस में प्रवेश करने में कोई दिक्कत नहीं होने की बात कही।
*हत्या का क्षण
शाम 5 बजे के बाद, जब गांधी जी प्रार्थना स्थल की ओर जा रहे थे, गोडसे उनके पास आया। ऐसा लग रहा था जैसे वह उनके पैर छूना चाहता हो। गांधी जी की भतीजी आभा ने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन गोडसे ने उसे धक्का दे दिया। इसके बाद, उसने तीन गोलियां चलाईं, जो गांधी जी के सीने और पेट में लगीं।
*राष्ट्र का शोक
गांधी जी के निधन की खबर आग की तरह फैल गई। मौलाना आजाद, देवदास गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल और लॉर्ड माउंटबेटन सहित कई नेता बिरला हाउस पहुंचे। गांधी जी के पार्थिव शरीर को लाखों लोगों ने अंतिम विदाई दी। करीब 15 लाख लोग उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हुए।
महात्मा गांधी की हत्या ने भारत को गहरा आघात पहुंचाया। उनकी मृत्यु ने न केवल एक महान आत्मा को खो दिया, बल्कि राष्ट्र को अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देने वाले व्यक्ति को भी खो दिया। आज भी, 30 जनवरी का दिन भारतीय इतिहास में एक काला दिन के रूप में याद किया जाता है।