
इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
हिंदुत्व संगठनों ने गुरुवार को जयपुर में प्रसिद्ध कवि और दार्शनिक अल्लामा इकबाल के एक भित्ति चित्र को कालक पोत दिया!
यह भित्ति चित्र मिर्ज़ा इस्माइल रोड पर स्थित है और इकबाल को उनके प्रसिद्ध गीत “सारे जहां से अच्छा, हिंदुस्तान हमारा” के लिए जाना जाता है।
*फेसबुक लाइव में किया भित्ति चित्र को काला
सोशल मीडिया पर वायरल हुए फेसबुक लाइव वीडियो में तीन लोग इकबाल की तस्वीर पर स्याही डालते नजर आए, जबकि अन्य लोग खड़े होकर देखते रहे। आरोपियों ने सवाल उठाया कि अल्लामा इकबाल का चित्र भारत में क्यों होना चाहिए।
इस हरकत में शामिल एक व्यक्ति भरत शर्मा था, जो विश्व हिंदू परिषद (VHP) का पूर्व मेट्रोपॉलिटन प्रमुख और राजस्थान में ‘धरोहर बचाओ समिति’ का संरक्षक है।
वीडियो में, भरत शर्मा ने इकबाल को भारत विभाजन के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए उनके चित्र पर स्याही फेंकी और कहा:
“ये पाकिस्तान का जनक है, हिंदुस्तान और पाकिस्तान के टुकड़े करने वाला गद्दार अल्लामा इकबाल”।
*हिंदुत्व समर्थकों की प्रतिक्रिया
फेसबुक लाइव के दौरान कई यूज़र्स ने भरत शर्मा की तारीफ की और “जय श्री राम” जैसे नारे लिखे। कुछ लोगों ने टिप्पणी की, “इसे पूरी तरह काला कर दो”, “बहुत अच्छा काम”, जबकि एक यूज़र ने यह तक लिखा कि “चित्र बनाने वाले कलाकार पर FIR होनी चाहिए”।
हालांकि, कई अन्य यूज़र्स ने इस घटना की आलोचना की और इसे नफरत फैलाने की कोशिश बताया। एक यूज़र ने लिखा, “इन्हें यह भी नहीं पता कि इकबाल ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी”। एक अन्य व्यक्ति ने लिखा, “जब सत्ता में बैठे लोग इन कट्टरपंथियों के सामने बेबस हो जाते हैं, तब ये कट्टरपंथी जो चाहें करते हैं और कानून तोड़ते हैं”।
*भरत शर्मा का हिंदुत्व अभियान और वक्फ संपत्तियों पर विवाद
भरत शर्मा हिंदू मंदिरों की रक्षा के लिए अभियान चलाता रहा है और ‘सनातन धर्म’ अपनाने की वकालत करता है। एक भाषण में उसने कहा था कि “हिंदू भक्तों को धर्म कार्यों में दृढ़ रहना चाहिए, तभी हम हिंदू राष्ट्र की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं”
भरत शर्मा और उसके सहयोगी जयपुर में वक्फ संपत्तियों को “अवैध अतिक्रमण” बताकर विवाद खड़ा कर चुके हैं।
*पुराना झूठा दावा: मस्जिद नहीं, हिंदू-मुस्लिम दोनों की आस्था का स्थल था
तीन साल पहले, जयपुर में लक्ष्मी नारायण मंदिर में एक मजार बनाए जाने और वहां मुसलमानों द्वारा नमाज पढ़े जाने का झूठा दावा वायरल किया गया था।
भरत शर्मा ने इस दावे को हवा दी और मंदिर को मुस्लिम धार्मिक स्थल में बदलने की साजिश बताया। उसने न्यूज चैनलों पर जाकर मुस्लिम विरोधी बयान दिए। लेकिन फैक्ट-चेकिंग से पता चला कि यह स्थान पिछले 50 वर्षों से हिंदू और मुस्लिम दोनों के लिए आस्था का केंद्र रहा है। मंदिर के पुजारी ने भी यह साफ किया कि मंदिर को बंद नहीं किया गया था।
*इकबाल की रचनाएं हिंदुत्व संगठनों के निशाने पर
हिंदुत्व संगठनों ने अल्लामा इकबाल की कविताओं को कई बार निशाना बनाया है। ‘लब पे आती है दुआ’ को कई स्कूलों की सुबह की प्रार्थना सूची से हटा दिया गया।
इसके अलावा, दो साल पहले दिल्ली विश्वविद्यालय की एकेडमिक काउंसिल ने राजनीतिक विज्ञान के पाठ्यक्रम से अल्लामा इकबाल को हटा दिया