
इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
केरल सरकार ने वित्तीय संकट का हवाला देते हुए अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति योजनाओं में 50% की कटौती कर दी है, जिससे गरीब और वंचित समुदायों के छात्रों की शिक्षा पर गंभीर असर पड़ने की आशंका है। खासकर गरीबी रेखा से नीचे (BPL) आने वाले अल्पसंख्यक परिवारों के छात्र इस फैसले से सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।
*छात्रवृत्ति योजनाओं में भारी कटौती
सरकार द्वारा 15 जनवरी को जारी एक आदेश के अनुसार, अल्पसंख्यक मामलों के विभाग द्वारा दी जाने वाली 11 छात्रवृत्तियों में से 9 को 50% तक घटा दिया गया है। इनमें प्रमुख रूप से प्रो. जोसेफ मुंडासेरी, मदर टेरेसा और एपीजे अब्दुल कलाम छात्रवृत्ति शामिल हैं।
2024-25 के लिए इस योजना के तहत कुल 87.63 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, लेकिन वित्तीय वर्ष समाप्त होने में केवल दो महीने शेष रहने के बावजूद सिर्फ 2.69% राशि ही खर्च की गई है।
*वामपंथी सरकार का विरोधाभासी रुख
दिलचस्प बात यह है कि यह फैसला मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के नेतृत्व वाली वामपंथी सरकार द्वारा लिया गया है, जो अक्सर केंद्र सरकार पर अल्पसंख्यकों के अधिकारों को खत्म करने का आरोप लगाती रही है। हालांकि, सरकार का कहना है कि यह कटौती आर्थिक संकट को ध्यान में रखते हुए प्राथमिकता के आधार पर की गई है, लेकिन अल्पसंख्यक छात्रों की शिक्षा में कटौती सामाजिक न्याय और नीति प्राथमिकताओं पर सवाल खड़े करती है।
*प्रो. जोसेफ मुंडासेरी छात्रवृत्ति सबसे ज्यादा प्रभावित
इस कटौती से प्रो. जोसेफ मुंडासेरी छात्रवृत्ति सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है, जो मुस्लिम, सिख, जैन और पारसी समुदायों के मेधावी छात्रों के लिए एक संजीवनी की तरह थी। इस योजना के तहत BPL परिवारों के छात्रों को प्राथमिकता दी जाती है, और आर्थिक रूप से कमजोर APL श्रेणी के छात्रों को भी लाभ मिलता था।
इस साल इस योजना के लिए 5.2 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, जिसके तहत SSLC परीक्षा में सभी विषयों में A+ ग्रेड पाने वाले छात्रों को 10,000 रुपये और हायर सेकेंडरी में 80% अंक या वोकेशनल हायर सेकेंडरी में 75% अंक प्राप्त करने वालों को 15,000 रुपये की छात्रवृत्ति दी जाती थी। अब इस योजना में कटौती होने से वंचित तबके के होनहार छात्र अपनी शिक्षा जारी रखने में मुश्किलों का सामना कर सकते हैं।
*एपीजे अब्दुल कलाम छात्रवृत्ति में भी कटौती
एपीजे अब्दुल कलाम छात्रवृत्ति, जो अल्पसंख्यक छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक सहायता थी, इसे भी आधा कर दिया गया है। इस योजना के तहत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थानों में मेरिट के आधार पर प्रवेश पाने वाले छात्रों को 6,000 रुपये की सहायता दी जाती थी, जिसमें BPL परिवारों को प्राथमिकता दी जाती थी।
*30% राशि महिला छात्रों के लिए आरक्षित थी, लेकिन अब इस योजना में कटौती से वंचित पृष्ठभूमि से आने वाली छात्राओं की उच्च शिक्षा में बाधा आ सकती है।
*मदर टेरेसा छात्रवृत्ति भी प्रभावित
मदर टेरेसा छात्रवृत्ति, जो ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी समुदायों के छात्रों को डिप्लोमा कोर्स (नर्सिंग और पैरामेडिकल) करने में मदद करती थी, वह भी इस कटौती की चपेट में आ गई है।
इसके अलावा, विदेशों में पढ़ाई के लिए दी जाने वाली छात्रवृत्ति, सिविल सेवा कोचिंग के लिए आर्थिक सहायता और UGC कोचिंग के लिए दी जाने वाली वित्तीय सहायता भी प्रभावित हुई है।
*राजनीतिक विरोध और छात्र संगठनों का आक्रोश
कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर सरकार के इस फैसले की आलोचना करते हुए लिखा, “बीजेपी सरकारों की तरह ही केरल की ‘CJP’ सरकार भी अल्पसंख्यक छात्रों पर हमला कर रही है, उनकी छात्रवृत्तियों को आधा कर दिया गया है।”
*मुस्लिम स्टूडेंट्स फेडरेशन (MSF) के प्रदेश अध्यक्ष पी.के. नवास ने फेसबुक पोस्ट में आरोप लगाया कि यह फैसला “CPM और BJP के बीच एक गुप्त समझौते” का हिस्सा है, जो अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकारों की अनदेखी करता है। उन्होंने पिनाराई विजयन और नरेंद्र मोदी दोनों पर निशाना साधा।
स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन ऑफ इंडिया (SIO) के राज्य अध्यक्ष एडवोकेट अब्दुल वाहिद ने कहा, “यह पिनाराई सरकार की अल्पसंख्यक विरोधी नीति का विस्तार है। अगर इस फैसले को रद्द नहीं किया गया, तो विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।”
*सरकार की चुप्पी और भविष्य की आशंकाएं
अब तक केरल सरकार की ओर से इस विवादास्पद कटौती पर कोई औपचारिक सफाई नहीं दी गई है। अल्पसंख्यक समुदायों और छात्र संगठनों में सरकार के इस फैसले को लेकर जबरदस्त आक्रोश है, और आने वाले दिनों में इसके खिलाफ बड़े प्रदर्शन होने की संभावना जताई जा रही है।