
इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
2025 के केंद्रीय बजट को लेकर राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है। भीम आर्मी प्रमुख और लोकसभा सांसद चंद्रशेखर आजाद ने शनिवार को इस बजट को “आर्थिक और सामाजिक न्याय विरोधी” करार दिया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत किए गए बजट को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने “जनता का बजट” बताया था, लेकिन चंद्रशेखर आजाद ने इस पर तीखा हमला किया।
*आजाद का बजट पर कड़ा हमला
चंद्रशेखर आजाद ने एक्स (Twitter) पर लिखा, “मोदी सरकार का यह बजट सामाजिक न्याय विरोधी, आर्थिक समानता विरोधी है और समावेशी विकास के मामले में एक बड़ा निराशा का कारण है। दलितों, आदिवासियों, पिछड़ी जातियों, मुसलमानों और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों, महिलाओं, गरीबों, श्रमिकों और किसानों के लिए आवंटन में बहुत मामूली वृद्धि हुई है, जबकि महंगाई दर 6% से अधिक है। इसका मतलब यह है कि देश के अधिकतर वंचित वर्गों के लिए आय 8 पैसे और खर्च 100 रुपये से ज्यादा है, और इस बजट में उनके लिए कुछ भी नहीं है।”
उन्होंने आगे कहा, “यदि हम आंकड़ों को देखें तो इन वर्गों के लिए आवंटन असल में घटा है। यह बजट इन समुदायों के विकास और सशक्तिकरण के मामले में भी निराशाजनक है।”
*आजाद का ग्रामीण और शहरी गरीबों, महिलाओं और किसानों के लिए बजट पर विरोध
चंद्रशेखर आजाद ने बताया कि ग्रामीण और शहरी गरीबों, महिलाओं और किसानों के लिए योजनाओं के लिए बजट अपर्याप्त है, जिससे इन समुदायों की आर्थिक स्थिति और भी कमजोर हो सकती है।
“शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सामाजिक सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में मामूली बढ़ोतरी ने इन समुदायों की समस्याओं को हल करने की बजाय और गहरा दिया है। विशेष रूप से ग्रामीण और शहरी गरीबों, महिलाओं और किसानों के लिए योजनाओं के लिए अपर्याप्त बजट इनकी आर्थिक स्थिति को और भी कमजोर कर सकता है,” आजाद ने कहा।
*वित्त मंत्री की घोषणा पर विपक्षी दलों का विरोध
वहीं, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नई कर व्यवस्था के तहत ₹12 लाख तक की आय वालों को कर से मुक्त करने की घोषणा की थी। इसके अलावा, ₹12 लाख तक की आय (₹12.75 लाख तक, वेतनभोगी करदाताओं के लिए ₹75,000 की मूल कटौती के साथ) पर शून्य प्रतिशत आयकर लागू किया गया।
इसके बावजूद, कांग्रेस पार्टी ने बजट की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने किसानों की प्रमुख मांगों को नजरअंदाज किया है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि सीतारमण कृषि क्षेत्र से जुड़े मुद्दों पर “पूरी तरह से चुप” रहीं और एमएसपी की कानूनी गारंटी और कृषि ऋण माफी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को नजरअंदाज किया।
उन्होंने यह भी कहा कि बजट ने पीएम किसान योजना और पीएम फसल बीमा योजना में सुधार की सिफारिशों को नजरअंदाज कर दिया और कृषि पर संसदीय स्थायी समिति की सिफारिशों को नजरअंदाज कर दिया।
*रमेश का ‘मेक इन इंडिया’ पर कटाक्ष
रमेश ने नेशनल मैन्युफैक्चरिंग मिशन पर भी कटाक्ष किया और कहा, “मेक इन इंडिया, जो अब तक फेक इन इंडिया बन चुका था, अब उसका नया नाम है।”